Jinping On Taiwan: ‘ताइवान के खिलाफ ताकत दिखाने के लिए भी चीन तैयार’, राष्ट्रपति जिनपिंग के एलान से बढ़ सकता है तनाव

चीन में अब भी कोरोना का कहर है। इसके अलावा बीते दिनों राजधानी बीजिंग में ही कम्युनिस्ट पार्टी और शी जिनपिंग के विरोध में बैनर टंगे देखे गए थे। इन बैनरों को हटा दिया गया, लेकिन इससे ये जरूर साबित हो गया है कि चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ जनता के एक वर्ग में नाराजगी है। इस नाराजगी से निपटने की रणनीति पर भी सीपीसी की बैठक में चर्चा होने की पूरी उम्मीद है।

Avatar Written by: October 16, 2022 9:17 am
ccp meet xi jinping

बीजिंग। चीन ने एक बार फिर कहा है कि किसी भी सूरत में वो ताइवान को अलग होने नहीं देगा। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) की बैठक की शुरुआत करते हुए राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ये बात कही। जिनपिंग ने कहा कि चीन तय कर चुका है कि ताइवान को अलग नहीं होने देगा। इसके लिए वो ताकत के इस्तेमाल समेत हर संभव कदम उठाने के लिए हमेशा तैयार है। जिनपिंग की इस चेतावनी से अमेरिका के साथ उसके रिश्ते और खराब होने के आसार दिख रहे हैं। जिनपिंग ने इसके अलावा चीन से गरीबी को दूर करने और देश की हालत बेहतर बनाने के वादे भी किए।

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जिनपिंग अभी चीन के राष्ट्रपति, सेना प्रमुख और कम्युनिस्ट पार्टी के सर्वेसर्वा हैं। उन्होंने चीन के संविधान में बदलाव करा लिया है। इस बदलाव की वजह से जीवित रहने तक जिनपिंग इन पदों पर बने रहेंगे। हालांकि, माना जा रहा है कि सीपीसी की बैठक के बाद कुछ अहम पदों पर दूसरे नेताओं को लाया जा सकता है। इनमें पीएम ली केकियांग और विदेश मंत्री वांग यी के पद भी हैं। इन दोनों ही पदों पर जिनपिंग अपने करीबी नेताओं को बिठाने की तैयारी में हैं। एक-दो दिन में तय हो जाएगा कि चीन का अगला पीएम और विदेश मंत्री कौन होंगे।

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चीन में अब भी कोरोना का कहर है। इसके अलावा बीते दिनों राजधानी बीजिंग में ही कम्युनिस्ट पार्टी और शी जिनपिंग के विरोध में बैनर टंगे देखे गए थे। इन बैनरों को हटा दिया गया, लेकिन इससे ये जरूर साबित हो गया है कि चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ जनता के एक वर्ग में नाराजगी है। इस नाराजगी से निपटने की रणनीति पर भी सीपीसी की बैठक में चर्चा होने की पूरी उम्मीद है। इसके अलावा भारत, अमेरिका, यूक्रेन-रूस के बीच जंग और विकास दर गिरने जैसे अहम मुद्दों पर भी चर्चा किए जाने के आसार हैं। हालांकि, ऐसे मसलों पर बड़े नेता ही बैठक करेंगे और सारे डेलिगेट्स के सामने चर्चा शायद न हो।