नई दिल्ली। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत ही महत्व माना जा जाता है। कहते हैं कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। एकादशी के दिन भगवान विष्णु जी की पूजा की जाती है। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को अजा एकादशी कहा जाता है। हिंदी पंचांग के मुताबिक इस साल अजा एकादशी 3 सितंबर को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता की माने को इस व्रत के प्रभाव से मिलने वाला फल अश्वमेघ यज्ञ से मिलने वाले फल से भी कहीं ज्यादा माना जाता है। इसीलिए इस दिन के व्रत का पालन सच्ची श्रद्धा के साथ किया जाना चाहिए।
इस तरह करें अजा एकादशी व्रत
इस दिन व्रत करने वाले लोगों को सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि कर लेना चाहिए। जिसके बाद पूजा स्थल की साफ-सफाई करनी चाहिए। साथ ही भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जानी चाहिए। विधि-विधान और व्रत कथा का पाठ करना चाहिए। जिसके बाद भक्तों को प्रसाद में चरणामृत दें। इस दिन निराहार रहना चाहिए इसके साथ ही सिर्फ शाम के समय फलाहार करना चाहिए। व्रत के अगले दिन साधु-संतों को भोजन करवाने के बाद दक्षिणा देकर खुद भोजन करना चाहिए।
क्या है अजा एकादशी का महत्व
पौराणिक मान्यता की मानें तो इस व्रत से तीर्थों में दान-स्नान, कठिन तपस्या और अश्वमेघ यज्ञ से भी अधिक फल प्राप्त होता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस व्रत से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु अपने भक्तों के सभी दुखों का निवारण करते हैं साथ ही घर में खुशहाली, सुख, समृद्धि का आगमन भी रहता है।