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Dev Diwali 2021: देशभर में आज मनाई जा रही देव दिवाली, जानिए क्या है महत्व, क्यों किया जाता है दीपदान

Dev Diwali 2021: आज देशभर में देव दिवाली का त्योहार मनाया जा रहा है। यह दिन रोशनी के त्योहार दीपावली के 15 दिनों के बाद आता है। देश के कई राज्य विशेषकर वाराणसी में बड़े बहुत ही हर्षोउल्लास के साथ देव दिवाली का मनाई जाती है।

नई दिल्ली। आज देशभर में देव दिवाली का त्योहार मनाया जा रहा है। यह दिन रोशनी के त्योहार दीपावली के 15 दिनों के बाद आता है। देश के कई राज्य विशेषकर वाराणसी में बड़े बहुत ही हर्षोउल्लास के साथ देव दिवाली का मनाई जाती है। कहते हैं कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के एक राक्षस का वध किया था और भगवान विष्णु जी ने मत्स्य अवतार लिया था। इसलिए इस दिन को देव दिवाली कहते हैं। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दीपदान करने का बहुत ही खास महत्व माना जाता है। पंचांग की मानें तो इस साल देव दिवाली 18 नवंबर को मनाई जा रही जबकि कार्तिक पूर्णिमा का स्नान और इससे जुड़े सभी पूजा-पाठ 19 नवंबर को किए जाएंगे।

दीपदान का होता है खास महत्व

देव दिवाली के दिन पवित्र नदी के जल से स्नान करके दीपदान किया जाता है। ये दीपदान नदी के किनारे होता है। जिसका दीपावली से कोई संबंध नहीं है, लोकाचार की परंपरा होने के कारण वाराणसी में लोग इस दिन गंगा किनारे बड़े स्तर पर दीपदान किया जाता है। इसको वाराणसी में देव दीपावली कहा जाता है।

क्यों कहा जाता है देव दिवाली

मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था। त्रिपुरासुर के वध की खुशी में देवताओं ने काशी में अनेकों दीए जलाए थे। यही वजह है कि आज भी हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा पर काशी में दिवाली मनाई जाती है। क्योंकि यह दीवाली देवों ने मनाई थी, इसीलिए इसे देव दिवाली का नाम दिया गया है।

Diwali-2019

कृत्तिकाओं का भी किया जाता है पूजन

इस दिन छह कृत्तिकाओं का रात्रि के समय पूजन किया जाता है। इस दिन पूजा करने से संतान का शीघ्र वरदान प्राप्त होता है। ये छह कृत्तिकाएं हैं- शिवा, सम्भूति, संतति, प्रीति, अनुसूया और क्षमा। इनका पूजन करने के बाद गाय, भेंड़, घोड़ा और घी आदि का दान करना चाहिए।