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Hariyali Teej: कब है हरियाली तीज, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसका महत्व

Hariyali Teej: हरियाली तीज के दिन हरे रंग का खास महत्व होता है। इस दिन हरि चूड़ियां, हरे रंग के वस्त्र, सोलह श्रृंगार के साथ ही मेहंदी लगाने का खास महत्व होता है। हरियाली तीज के इस मौके पर नवविवाहति लड़कियां जिनकी कुछ समय पहले ही शादी हुई होती है उन्हें मायके बुलाया जाता है।

नई दिल्ली। हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए हरियाल तीज का व्रत काफी महत्वपूर्ण होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल हरियाली तीज, सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस साल हरियाली तीज का ये त्योहार 11 अगस्त 2021 को मनाया जाएगा। सुहागिन महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती है। कई महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत भी रखती हैं। इस दिन भगवान शिव के साथ ही माता पार्वती की भी पूजा की जाती है। तो चलिए आपको बताते हैं कब है हरियाली तीज, क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

हरियाली तीज 2021 शुभ मुहूर्त

हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त 10 अगस्त मंगलवार शाम 06 बजकर 11 मिनट से शुरू होकर बुधवार की शाम को 04 बजकर 56 मिनट पर खत्म होगा।

ऐसे करें पूजा

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदी कर लें। इसके बाद नए या फिर साफ वस्त्र धारण कर पूजा का संकल्प लें। इसके बाद पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ करके मिट्टी से भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति बनाएं। अब जहां आप उन्हें स्थापित करना चाहते हैं उस आसन पर लाल कपड़ा बिछाएं। अब पूजा की थाली तैयार करें। इसके लिए थाली में सुहाग की सभी चीजें लें और भगवान शिव और माता पार्वती को अर्पित कर दें। आखिर में तीज कथा और आरती उतारे। इस त्योहार पर महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं जो की अगले दिन तोड़ा जाता है।

Hariyali Teej

हरे रंग का खास महत्व

हरियाली तीज के दिन हरे रंग का खास महत्व होता है। इस दिन हरि चूड़ियां, हरे रंग के वस्त्र, सोलह श्रृंगार के साथ ही मेहंदी लगाने का खास महत्व होता है। हरियाली तीज के इस मौके पर नवविवाहति लड़कियां जिनकी कुछ समय पहले ही शादी हुई होती है उन्हें मायके बुलाया जाता है। परंपरा के अनुसार, लड़की के ससुराल से मिठाई, कपड़े और गहने आते हैं।

हरियाली तीज का महत्व

सुहागिन महिलाओं के लिए हरियाली तीज का खास महत्व होता है। इस मौके पर महिलाएं झुला झुलती है और सावन के गीत भी गाती है। पौराणिक कथाओं की मानें तो भगवान शिव को पाने के लिए माता पार्वती ने कठोर तपस्या की थी। माता पार्वती के इस कठोर तप से प्रसन्न होकर भोले भंडारी ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। कहते हैं जो भी सुहागिन महिलाएं इस व्रत को करती है उन्हें अंखड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मिलता है।