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Kumb Sankarati 2021: कुंभ संक्रांति आज, रोग-बीमारियों और अनिष्ट से पाएं छुटकारा, करें ये उपाय

Kumb Sankarati 2010: सर्दियों को अलविदा कहने की घोषणा और सूर्य (Sun) द्वारा मकर राशि (Capricorn) में प्रवेश करने के पर्व मकर संक्रांति (Makar Sankranti) को हम सबने पिछले महीने ही मनाया। आज एक और संक्रांति है। जिसे कुंभ संक्रांति (Kumbh Sankranti) कहते हैं।

नई दिल्ली। सर्दियों को अलविदा कहने की घोषणा और सूर्य (Sun) द्वारा मकर राशि (Capricorn) में प्रवेश करने के पर्व मकर संक्रांति (Makar Sankranti) को हम सबने पिछले महीने ही मनाया। आज एक और संक्रांति है। जिसे कुंभ संक्रांति (Kumb Sankarati 2021) कहते हैं। आज के दिन सूर्य अपनी राशि बदल रहे हैं और मकर राशि से निकल कर कुंभ रांशि में प्रवेश कर रहे हैं। किसी दूसरी राशि में सूर्य के प्रवेश करने को संक्रमण कहते हैं और सूर्य ऐसा साल भर में 12 बार करते हैं। अलग-अलग संक्रांति का महत्व भी विद्वान अलग-अलग बताते हैं। संक्रांति के मौके पर कुछ छोटे-छोटे लेकिन महत्वपूर्ण उपाय करने से जीवन के कई बड़े कष्ट कट जाते हैं और कम श्रम में ही अधिक फल प्राप्त होता है। हम आपको इन्हीं बेहद महत्वपूर्ण और सरल उपायों को बता रहे हैं ताकि कुंभ संक्रांति पर आपके सभी दैहिक, दैविक और भौतिक तापों का निवारण हो सके।

क्या और कैसे करें पुण्य प्राप्ति के उपाय

वैसे तो नित्य प्रति भगवान भास्कर की उपासना करने से अनंत कीर्ति, यश, आरोग्य और वैभव की प्राप्ति होती है, लेकिन कुंभ संक्रांति के खास मौके पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने का अलग ही महत्व विद्वत्जन बताते हैं। कुंभ संक्रांति के मौके पर तड़के सुबह उठकर स्नान करके सूर्य को अर्घ्य देन से आरोग्य की प्राप्ति होती है। ऐसा करने के लिए स्ना के बाद संभव हो तो तांबे के पात्र में जल लें, इसे सिर के ऊपर तक ऊठाकर दोनों हाथों से पकड़ें और पूर्वाभिमुख होकर भगवान भास्कर को अर्घ्य दें। इस जल को नेत्रों में लगाने से नेत्र ज्योति बढ़ने की मान्यता है। परिवार के किसी भी सदस्य पर आने वाली विपदा, बीमारी और अनिष्ट कट जाते हैं। इस दिन ज़रूरतमंदों की सेवा करने और उनकी आवश्यकता की वस्तुओं को दान करने से दो गुने फल की प्राप्ति की भी मान्यता है।

kumbh

तीर्थ स्नान की भी है परंपरा

हिंदू मान्यताओं, धर्मग्रंथों और ज्योतिर्विदों के अनुसार सूर्य को समस्त ग्रहों का पिता माना गया है। ऐसे में अगर आपको गृहों के पिता का वरदहस्त प्राप्त हो जाए तो फिर किसी भी ग्रह की मजाल है कि आपको कष्ट दे सके। यही कारण है कि सूर्योदय से पहले उठना और स्नान करके सूर्य को प्रसन्न करने के लिए अर्घ्य देने का विधान बनाया गया। वैसे तो विभिन्न ग्रहों की पीड़ा का नाश करने के लिए अलग-अलग उपाय बताए जाते हैं तथापि ऐसी स्थिति में सूर्योपासना भी बेहद लाभकारी मानी गई है। सूर्य के संक्रमण से ही ऋतु परिवर्तन होता है। ग्रंथों में संक्रांति को बेहद शुभ और मंगलकारी बताया गया है इसीलिए इस दिन पवित्र नदियों में स्नान (Holy bath) का बेहद महत्व है, खासकर गंगा (Ganges) में स्नान का। संक्रांति पर्व पर गंगास्नान करने को बैकुण्ठ प्राप्ति का मार्ग बताया गया है। देवी पुराण में तो यहां तक कहा गया है कि संक्रांति के दिन जो नहीं नहाता वो बीमारियों से परेशान रहता है।

जानें कुम्भ संक्रांति के मुहूर्त: 12 फरवरी, शुक्रवार

शुभ मुहूर्त- दोपहर 12:45 बजे से शाम 6:17 बजे तक (5 घंटे 32 मिनट)
महापुण्य काल- शाम 4:30 बजे से 6:19 बजे तक (1 घंटा 51 मिनट)