नई दिल्ली। सनातन धर्म में मनाए जाने वाले पर्वों में कजरी की गिनती खास त्योहारों में होती है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करती हैं। ये त्योहार हर वर्ष कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। उत्तर भारत में इस पर्व का विशेष महत्व होता है। हालांकि, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार की महिलाएं भी इस पर्व को धूम-धाम से मनाती हैं। कजरी तीज का व्रत हर साल रक्षा बंधन के तीन दिन बाद और जन्माष्टमी से ठीक पांच दिन पहले मनाया जाता है। इस व्रत को केवल सुहागिनें ही नहीं, अविवाहित लड़कियां भी रख सकती हैं। इस बार ये त्योहार कल रविवार यानी 14 अगस्त के दिन पड़ रहा है। कजरी तीज के व्रत का शुभारंभ 14 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 53 मिनट से हो जाएगा, जो रात के 10 बजकर 35 मिनट तक जारी रहेगा। कजरी तीज पर कई शुभ योग भी बन रहे हैं। 11 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 8 मिनट से 12 बजकर 59 मिनट तक अभिजित मुहूर्त लगेगा। उसके बाद सर्वार्थ सिद्धि योग लग जाएगा, जो रात 9 बजकर 56 मिनट से 15 अगस्त की सुबह 6 बजकर 9 मिनट तक जारी रहेगा।
पूजा विधि
1.सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और निर्जला व्रत का संकल्प लें।
2.इसके बाद मिट्टी की शिव-गौरी की मूर्ति को सुहाग की सामग्री अर्पित करें।
3.शिव-पार्वती को कच्चा सूत, नए वस्त्र, पीला वस्त्र, केले के पत्ते. धतूरा, बेलपत्र, शमी के पत्ते, सुपारी, कलश. दूर्वा घास, कपूर, घी, अक्षत, चावल, गंगाजल और गाय का दूध भी अर्पित करें।
4.इस दिन जरूरतमंदों को भोजन कराना और दान-दक्षिणा देना काफी शुभ होता है। महिलाएं पूरा श्रंगार करके रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर पति के साथ पूजा का समापन करती हैं।