नई दिल्ली। हिंदू धर्म में मुहूर्त, कुंडली और विधि-विधान का विशेष महत्व होता है। कोई भी मांगलिक कार्य समय और दिन देखकर किया जाता है। इसलिए खरमास हिंदू धर्म में बहुत मायने रखता है। हर साल की तरह इस साल भी खरमास शुरू होने वाले हैं। खरमास में मांगलिक कार्य निषेध होते हैं और शादी-ब्याह जैसे काम नहीं होते हैं। इस बार खरमास 16 दिसंबर से शुरू हो रहे हैं और जनवरी तक चलेंगे। तो चलिए जानते हैं कि खरमास क्या है और इसमें मांगलिक कार्य क्यों नहीं होते हैं।
कब से शुरू हो रहे हैं खरमास
खरमान इस बार 16 दिसंबर से शुरू हो रहे हैं और 15 जनवरी तक चलने वाले हैं। समय की बात करें तो 16 दिसंबर दोपहर से 03 बजकर 47 मिनट से खरमास शुरू हो जाएंगे। यानी 16 दिसंबर से लेकर 15 जनवरी तक सभी मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाएगी। इस समय शादी-विवाह, मुंडन, ग्रह प्रवेश और कुछ नया काम शुरू नहीं करते हैं।
क्या होता है खरमास
खरमास का सीधा संबंध सूर्य से होता है। इस दिनों सूर्य राशि परिवर्तन करता है और जब सूर्य राशि धनु और मीन राशि में प्रवेश करता है, तो इसे खरमास या मलमास कहते हैं। खरमास के समय सूर्य की गति धीमी होती है क्योंकि सूर्य गधों के रथ के साथ सूर्य का चक्कर लगाते हैं। सूर्य की गति धीमी होने की वजह से उनका प्रभाव कम रहता है और ग्रह गुरु भी कमजोर हो जाता है। किसी भी शुभ काम के लिए दोनों का प्रभावी होना जरूरी माना गया है।
खरमास पर कई प्रथाएं भी हैं प्रचलित
कहा जाता है कि सूर्य देवता कभी आराम नहीं करते हैं और वो लगातार चक्कर लगाते रहते हैं..ये जरूरी भी है क्योंकि सूर्य के प्रकाश से ही धरती पर जीवन है लेकिन खरमास के समय सूर्य देवता ने तालाब के किनारे पर खड़े दो खर यानी गधों को अपने रथ में शामिल कर लिया, जिसकी वजह से उनकी चक्कर लगाने की गति धीमी हो गई। खर यानी गधे लगाने की वजह से ही इस समय का नाम ही खरमास रख दिया।