newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

जानिए गणेश चतुर्थी 2020 के बारे मे…..

गणेश जी को सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय माना गया है। इस दिन गणपति बप्पा को अपने घर में लाकर विराजमान करने से वे अपने भक्तों के सारे विध्न, बाधाएं दूर करते हैं। इसलिए गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। गणेश चतुर्थी को लोग गणेश जी को अपने घर लाते हैं, गणेश चतुर्थी के ग्यारहवें दिन धूमधाम के साथ उन्हें विसर्जित कर दिया जाता है।

नई दिल्ली। गणेश जी को सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय माना गया है। इस दिन गणपति बप्पा को अपने घर में लाकर विराजमान करने से वे अपने भक्तों के सारे विध्न, बाधाएं दूर करते हैं। इसलिए गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। गणेश चतुर्थी को लोग गणेश जी को अपने घर लाते हैं, गणेश चतुर्थी के ग्यारहवें दिन धूमधाम के साथ उन्हें विसर्जित कर दिया जाता है। सनातन धर्म में भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है। भगवान गणेश को गजानन या विघ्नहर्ता के नाम से भी पुकारते हैं। गजानन को रिद्धि-सिद्धि और सुख-समृद्धि का प्रदाता माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान गणेश संकट, कष्ट, दरिद्रता और रोगों से मुक्ति दिलाते हैं। गणेशोत्सव अर्थात गणेश चतुर्थी का उत्सव, 10 दिन के बाद, अनन्त चतुर्दशी के दिन समाप्त होता है और यह दिन गणेश विसर्जन के नाम से जाना जाता है। अनन्त चतुर्दशी के दिन श्रद्धालु-जन बड़े ही धूम-धाम के साथ सड़क पर जुलूस निकालते हुए भगवान गणेश की प्रतिमा का सरोवर, झील, नदी इत्यादि में विसर्जन करते हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार भारत में गणेश चतुर्थी भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेशजी के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

ganesh fiii

क्या करें गणेश चौथ पर कि की हो आपके कष्टों का निवारण

चतुर्थी के दिन श्रीगणेश की पूजा करने से विशेष वरदान प्राप्त होता है। जबकि व्रत रखने से परिवार के सदस्यों के बीच आपसी सौहार्द बढ़ता है। कहते हैं कि अगर किसी मनुष्य के जीवन में रुकावट या बाधाएं आ रही हैं तो संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को दही अर्पित करना चाहिए। जिससे बिगड़े हुए काम बनने लगते हैं।यदि किसी जातक के जीवन में लगातार परेशानियां आ रही हैं तो उसे चतुर्थी के दिन शक्कर मिली दही में छाया देखकर भगवान गणेश को अर्पित करनी चाहिए। इससे रुके हुए काम बन जाते हैं। गणेशजी को इस दिन दुर्वा चढ़ानी चाहिए। दुर्वा में अमृत का वास माना जाता है। गणेश जी को दुर्वा अर्पित करने से स्वास्थ का लाभ मिलता है।

गणेश चतुर्थी को कहते हैं डंडा चौथ गणेश– जी ऋद्धि-सिद्धि व बुद्धि आदि के दाता भी माने जाते हैं। मान्यता है कि गुरु-शिष्य परंपरा के तहत इसी दिन से विद्याध्ययन का शुभारंभ होता था। इस दिन बच्चे डंडे बजाकर खेलते हैं। इसी कारण कुछ क्षेत्रों में इसे डंडा चौथ भी कहते हैं। गणेश चतुर्थी के त्यौहार को विनायक चतुर्थी और कुछ जगहों पर डंडिया चोथ के रूप में भी मनाई जाती है। जो भगवान गणेश को समर्पित सबसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों में से एक है।ऐसा जाता है कि गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मदिवस है और उनकी पूजा करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस वर्ष भी 22 अगस्त 2020 को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी।

पंडित दयानन्द जी ने बताया की महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी का यह उत्सव लगभग दस दिनों तक चलता है जिस कारण इसे गणेशोत्सव भी कहा जाता है। यह माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था। इसीलिए गणेश चतुर्थी के दिन गणेश पूजा दोपहर के दौरान की जाती है। इस दिन उत्तर दिशा की तरफ मुख करके भगवान गणेश की अराधना करें, गौरी गणेश को जल अर्पित करें। जल में तिल मिलाकर अर्घ्य देना सबसे ज्यादा उत्तम माना गया है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है। शाम के समय भी भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें। भगवान गणपति को दुर्वा या दूब जरूर अर्पित करें लेकिन भूल से भी उन्हें तुलसी के पत्ते न चढ़ाएं। भगवान गणेश की तिल के लड्डुओं का भोग लगाएं और उनकी आरती उतारें। इस विधि से पूजा करने के बाद चांद को अर्घ्य दें। इसके बाद तिल के लड्डू या तिल खाकर व्रत खोलें। इस दिन तिल का दान करना भी शुभ माना गया है। गणेश उत्सव का आरंभ भगवान गणपति प्रतिमा की स्थापना करने के साथ उनकी पूजा से होता है और लगातार दस दिनों तक घर में रखकर अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा की विदाई की जाती है। इस दिन ढोल नगाड़े बजाते हुए और नाचते गाते हुए गणेशजी की प्रतिमाओं को विसर्जन के लिए ले जाया जाता है। विसर्जन के साथ ही गणेशोत्सव की समाप्ति होती है।

ऐसे करें गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश जी का पुजन

पंडित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं की गणेश चतुर्थी के दिन प्रात:काल स्नानादि नित्य कर्म से निवृत होकर गणेश जी की प्रतिमा बनाना चाहिए।यह प्रतिमा सोने,तांबे,मिट्टी,या गाय के गोबर आदि से बनाना चाहिए। एक कोरे कलश को लेकर उसमें जल भरकर उसमें सुपारी डालें और उसे कोरे कपड़े से बांधाना चाहिए। इसके बाद एक चोकी स्थापित करे और उस पर कलश और गणेश प्रतिमा की स्थापना करे। इसके बाद प्रतिमा पर सिंदूर, केसर, हल्दी, चन्दन,मौली आदि चढाकर षोडशोपचार के साथ उनका पूजन करे। गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाऐ। गणेश प्रतिमा के पास पांच लड्डू रखकर बाकि ब्राह्मणों में बांट देने चाहिए। गणेश जी की पूजा मध्याह्न के समय करनी चाहिए। इसके पश्चात ब्राह्मणों को भोजन करवाकर उन्हें दक्षिणा भी देनी चाहिए। शाम के समय में गणेश जी की विधिवत पूजा करें। इसके बाद गणेश जी की कथा और गणेश चालीसा का पाठ अवश्य करें।अंत में गणेश जी की आरती करें और “ओम् गं गणपतये नमः” मंत्र की एक माला का जाप करना चाहिए। पूजा के पश्चात सायंकाल में दृष्टि नीची रखते हुए चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए।ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए। भगवान गजानन को सिंदूर अर्पित करें। गणेश जी को 21 दूर्वा दल अर्पित करने के बाद उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाएं। 5 लड्डू भगवान गणेश को अर्पित करके शेष लड्डू गरीबों में बांट दें।

शाम के समय भगवान गणेश का विधि-विधान से पूजन करें। गणेश चतुर्थी के दिन गणेश चतुर्थी कथा और गणेश चालीसा पढ़ना उत्तम माना गया है। संकट नाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करके श्री गणेश की आरती करें।

जानिए वर्ष 2020 में क्या रहेगा गणेश चतुर्थी की पूजन का शुभ मुहूर्त

गणेश पूजा मुहूर्त 22 अगस्त 2020 की मध्याह्न में सुबह 11 बजकर 06 मिनट से दोपहर 01 बजकर 42 मिनट तक।

इस दिन ही लोग गणपति की मूर्तियां लाकर अपने घरों में रखते हैं।

चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – रात 11 बजकर 02 मिनट से (21/अगस्त/ 2020)

चतुर्थी तिथि समाप्त – शाम 07 बजकर 57 मिनट तक (22/अगस्त/2020)

मूर्ति विसर्जन 1 सितंबर, 2020 को किया जाएगा।

यह रहेगा 22 अगस्त 2020 को चन्द्रोदय का समय

चन्द्रोदय का समय है रात 9 बजकर 8 मिनट पर है।

इस दिन शाम गाय बछडे के पूजन और जौ व सत्तू का भोग लगाने का महत्व है। इस दिन गेहूं एवं चावल, गाय के दूध और दूध से बने पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए । इस दिन गाय के दूध पर केवल बछड़े का ही अधिकार होता है।

ganesh 1

गणेश स्थापना में इन बातों का जरूर रखें ध्यान

भगवान श्रीगणेश की मूर्ति स्थापना के समय विशेष ध्यान रखना चाहिए कि उनके एक हाथ में अंकुश, मोदक और उनका टूटा हुआ दांत होना चाहिए। एक हाथ आशीर्वाद देते हुए होना चाहिए। साथ में उनकी सवारी मूषक भी हो। भगवान श्रीगणेश के मुख की तरफ समृद्धि, सिद्धि, सुख और सौभाग्य होता है। ध्यान रखें कि मूर्ति का मुख दरवाजे की ओर नहीं होना चाहिए। दायीं ओर सूंड वाले गणपति देर से प्रसन्न होते हैं, जबकि बाईं ओर सूंड वाले गणपति शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान गणेश की स्थापना के समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि मूर्ति का मुख दरवाजे की ओर नहीं होना चाहिए। कहते हैं कि भगवान गणेश के मुख की ओर सौभाग्य, सिद्धि और सुख होता है।

गणपति बप्पा की स्थापना हमेशा पूर्व दिशा और उत्तर पूर्व दिशा में करना शुभ माना जाता है। भगवान गणेश की स्थापना भूलकर दक्षिण और दक्षिण पश्चिम में नहीं करनी चाहिए। घर में भगवान श्रीगणेश की मूर्ति इस प्रकार स्‍थापित करें कि उनकी पीठ किसी भी कमरे की ओर न हों। कभी भी सीढ़ियों के नीचे भगवान की मूर्ति स्‍थापित न करें। वास्‍तु के अनुसार ऐसा करने से घर में दुर्भाग्‍य आता है। गणेश चतुर्थी पर बच्चों के अध्ययन कक्ष में भगवान श्रीगणेश की मूर्ति लगाना श्रेष्ठ माना जाता है। गणेश चतुर्थी पर पूजा के दौरान तुलसी अर्पित नहीं करनी चाहिए। पंडित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया की घर में भगवान श्रीगणेश की बैठी हुई प्रतिमा जबकि कार्यस्थल पर अन्य मुद्राओं वाले रूप की मूर्ति रखी जा सकती है। ध्यान रखें कि भगवान श्रीगणेश के दोनों पैर जमीन को स्पर्श कर रहे हों। एक ही जगह पर भगवान श्रीगणेश की दो मूर्ति एक साथ न रखें। घर या ऑफिस में भगवान गणेश की एक साथ दो मूर्ति नहीं रखनी चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार, ऐसा करने से ऊर्जा का आपस में टकराव होता है। जिससे धन हानि होती है। भगवान गणेश के सामने अखंड ज्योति विसर्जन वाले दिन तक जलाए रखनी चाहिए।

ganesh 5

इस वर्ष गणेशोत्सव पर रहेगा कोरोनो का असर

आने वाली 22 अगस्त 2020 से गणेश महोत्सव शुरू होने वाला है। कोरोना महामारी के कारण इस बार का गणेशोत्वस बिल्कुल अलग होने जा रहा है। भक्तों से अपील की जा रही है कि वे सार्वजनिक कार्यक्रम करने के बजाए अपने घरों में ही गणेशोत्सव मनाएं। इसको लेकर करीब 2 महीने पहले से मूर्तिकार अपने कारखानों में घरों में विराजमान होने वाली छोटी-छोटी भगवान गणेश जी की प्रतिमा का निर्माण शुरू कर देते हैं।वर्तमान समय में इन मूर्तिकारों द्वारा प्रतिमाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है। बता दें, सरकार ने पीओपी की प्रतिमाओं पर पाबंदी लगा रखी है। ये प्रतिमाएं नदी में काफी समय में गलती हैं और इन प्रतिमाओं में लगाया गया केमिकल युक्त रंग पानी में रहने वाले जीव जंतुओं को भी नुकसान पहुंचाता है।