नई दिल्ली। दुर्गा अष्टमी (Durga Ashtami) कल यानी शनिवार, 24 अक्टूबर को है। दुर्गा अष्टमी के पूजन का विशेष महत्व (Importance of Durga Ashtami) होता है। नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्याओं का मां का रुप मानकर पूजन (Kanya Poojan) किया जाता है। इसके साथ ही महागौरी और सिद्धिदात्री देवी की पूजा के बाद हवन किया जाता है। अष्टमी और नवमी तिथि पर लोग अपनी कुल देवी की पूजा भी करते हैं। लेकिन इस समय पूरा देश कोरोना के बढते प्रकोप को रोकने के लिए घर की लक्ष्मण रेखा के अंदर है।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि यदि आपके घर में बेटी या भतीजी नहीं है तो भी निराश होने की जरूरत नहीं है। अष्टमी या नवमी में से जिस भी दिन आप कन्या पूजन करना चाहते हैं उस दिन इस तरह आप विधि-विधान पूरा कर सकते हैं।
कन्या पूजन की तैयारी
– कन्या पूजन के दिन सुबह-सवेरे उठकर घर की साफ-सफाई करें।
– अब स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
– इसके बाद भोग तैयार करें। शगुन के लिए हल्वा, पूरी और चने बनाएं। ध्यान रहे इस भोग की मात्रा उतनी ही रखें जितना कि परिवार के सदस्य ग्रहण कर सकते हों।
– माता रानी के लिए ऐसा प्रसाद भी तैयार करें जिसे लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सके। जैसे कि मेवे, मखाने, शक्करपारे आदि।
– अब घर के मंदिर में ही माता रानी की विधिवत पूजा करें।
– माता रानी की आरती उतारें और भोग लगाएं।
– अब सूखे भोग के 10 अलग-अलग पैकेट (9 पैकेट कन्याओं के और 1 बटुक भैरव रूपी बालक के लिए) बनाकर रख लें।
– इन पैकेट के साथ यथाशक्ति भेंट भी रखें।
– अब घर के सभी सदस्यों में प्रसाद बांट कर व्रत का पारण करें।
– बाद में जब लॉकडाउन खत्म हो जाएगा और स्थिति सामान्य हो जाएगी तब आप इन पैकेट्स को कन्याओं में बांट सकते हैं।
अपने निकट की अवैध बस्ती में नौ कन्याओं के लिए कच्ची राशन सामग्री उपलब्ध करा रहा हूं। जिससे उनके परिवार का कुछ गुजर बसर हो सके। जिसमे आटा, तेल, दाल, मसाले एवम अन्य भोजनोपयोगी सामग्री हो। इस बार कच्ची बस्ती में बच्चियों को भोजन पैकेट ओर जरूरत के समान भी उपलब्ध करवा सकती हैं। पूजन के दौरान जो धनराशि कन्याओं को भेंट की जाती है वो इस बार बस्तियों की बच्चियों को देगें।
इन सभी के अतिरिक्त यदि आप चाहे, हिम्मत करें/कोशिश करें तो पण्डित दयानंद शास्त्री जी ने बताया कि नवरात्र में कुल देवी देवताओं के स्थान पर अगर आप नही जा पा रहे है तो आप घर पर ही पूजन के लिए आम, पान, केले आदि के पत्ते पर नौ सुपारी , 9 पताशे, गुड़ की डली रख कर पूजन करें। 9 फूल ले या फूल की जगह अक्षत का उपयोग करें ओर आह्वान करें।
भोग लगा कर आरती करें। इस तरह सामान्य रूप से कुल देवी देवताओं की आराधना की जा सकती है, इसमें किसी तरह का दोष नहीं है। ये सांकेतिक पूजा होती है।
नवरात्रि में कन्या पूजन के नियम-
भारतीय शास्त्रों में नौ दिनों तक निर्वहन की जाने वाली परंपराओं का बड़ा महत्व बताया गया है। इन नौ दिनों में कई मान्यताएं और परंपराएं प्रचलित हैं, जिन्हें हमारे बड़े-बुजुर्गों ने हमें सिखाया है। उनका आज भी हम पालन कर रहे हैं।
हर कोई चाहता है कि देवी की पूजा पूरी श्रद्धा-भक्ति से हो ताकि परिवार में सुख-शांति बनी रहे। आइए जानते हैं, माता के नौ दिनों में क्या करें, क्या न करें :-
क्या करना चाहिए-
* जवारे रखना।
* प्रतिदिन मंदिर जाना।
* देवी को जल अर्पित करना।
* नंगे पैर रहना।
* नौ दिनों तक व्रत रखना।
* नौ दिनों तक देवी का विशेष श्रृंगार करना।
* अष्टमी-नवमीं पर विशेष पूजा करना।
* कन्या भोजन कराना।
* माता की अखंड ज्योति जलाना।
क्या नहीं करें-
– नवरात्रि में बाल या दाढ़ी-मूंछ नहीं कटवानी चाहिए। आप यदि बाल कटवाना चाहते हैं तो नवरात्रि से पहले या नवरात्रि के बाद ही कटवाएं।नवरात्रि में नाखून काटने की भी मनाही है।
– नवरात्रि के दिनों में किसी भी नकारात्मक या बुरे विचार से खुद को दूर रखना चाहिए।
– नौ दिन का व्रत रखने वालों को गंदे और बिना धुले कपड़े नहीं पहनने चाहिए। व्रत रखने वाले लोगों को बेल्ट, चप्पल-जूते, बैग जैसी चमड़े की चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
– नवरात्रि के 9 दिनों में व्रत रखने वाले लोगों को पलंग या कुर्सी पर नहीं बैठना चाहिए। दिन में नहीं सोना चाहिए और रात में माता की चौकी के पास बिस्तर लगाकर सोना चाहिए।
* दाढ़ी, नाखून व बाल काटना नौ दिन बंद रखें।
* छौंक या बघार नहीं लगाएं।
* लहसुन-प्याज का भोजन ना बनाएं।