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Bhai Dooj 2021: भाई दूज के दिन बहनें करें यमराज की पूजा, भाई की होगी लंबी उम्र

Bhai Dooj 2021: यम द्वितीया पूजा विधान के अनुसार आज के दिन यमराज और यमुना माता की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है।

नई दिल्ली। कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का त्योहर मनाया जाता है। ये त्योहार भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है। हिंदू धर्म में इस त्योहार का काफी महत्व है। भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई को घी का तिलक लगाती है। साथ ही उनकी लंबी उम्र और खुशहाल जीवन की कामना करती है। इसके बाद भाई अपनी बहनों को तोहफे देते हैं।

यम द्वितीया पूजा विधान के अनुसार आज के दिन यमराज और यमुना माता की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है।

इस दिन यमराज जी की पूजा करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है। इस दिन यमराज जी की पूजा करें और उनकी आरती करें। आरती के लिए यहां पढ़ें आरती लिरिक्स-

यमराज जी की आरती

धर्मराज कर सिद्ध काज प्रभु मैं शरणागत हूं तेरी।
पड़ी नाव मझधार भंवर में पार करो, न करो देरी।। धर्मराज…

धर्म लोक के तुम हो स्वामी श्री यमराज कहलाते हो।
जों जों प्राणी कर्म करत हैं तुम सब लिखते जाते हो।।

अंत समय में तुम सबको दूत भेज बुलवाते हो।
पाप पुण्य का सारा लेखा उनको बांच सुनाते हो।
भुगताते हो प्राणी को तुम लख चौरासी की फेरी। धर्मराज…

चित्रगुप्त हैं लेखक तुम्हारे फुर्ती से लिखने वाले ।
अलग अलग से सब जीवों का लेखा-जोखा लेने वाले।
पापी जन को पकड़ बुलाते नरको में ढाने वाले।
बुरे काम करने वालो को खूब सजा देने वाले।
कोई नहीं बच पाया न्याय नीति ऐसी तेरी।। धर्मराज…

दूत भयंकर तेरे स्वामी बड़े बड़े डर जाते हैं।
पापी जन तो जिन्हें देखते ही भय से थर्राते हैं।।
बांध गले में रस्सी वे पापी जन को ले जाते है
चाबुक मार लाते, जरा रहम नहीं मन में लाते हैं।। धर्मराज…

धर्मी जन को धर्मराज तुम खुद ही लेने आते हो।
सादर ले जाकर उनको तुम स्वर्ग धाम पहुंचाते हो।
जों जन पाप कपट से डरकर तेरी भक्ति करते हैं
नर्क यातना कभी ना करते, भवसागर तरते हैं।।
कपिल मोहन पर कृपा करिए जपती हूं मैं तेरी माला।।

धर्म राज कर सिद्ध काज प्रभु मैं शरनागत हूं तेरी।
पड़ी नाव मझधार भंवर में पार करो, न करो देरी।।