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Bhai Dooj 2023 Date: भाई-दूज को लेकर है कंफ्यूजन, जानें 14 या 15 नवंबर किस दिन मनाएगा जाएगा त्योहार, और कब है टीके का शुभ मुहूर्त

Bhai Dooj 2023 Date: भाई-दूज पर भाई को टीका शुभ मुहूर्त में करना ही सही होगा। आप 15 नवंबर को सुबह 6 बजकर 43 मिनट से लेकर  8 बजकर 4 मिनट तक टीका कर सकती हैं। इसके अलावा दूसरा चौघड़िया मुहूर्त सुबह 8 बजकर 4 मिनट से 9 बजकर 4 मिनट तक रहेगा

नई दिल्ली। दिवाली का त्योहार अच्छे से बीत चुका है लेकिन अब लोगों को आने वाले त्योहारों को लेकर कंफ्यूजन है। हम बात कर रहे हैं भाई-दूज की। वैसे तो हर बार दिवाली के दो दिन बाद भाई दूज आता है लेकिन इस बार भाई-दूज कब है..ये बड़ा सवाल है। कुछ लोगों का कहना है कि भाई दूज 14 नवंबर को मनाया जाएगा, तो कुछ का कहना है कि 15 नवंबर को मनाया जाएगा। अब इसी उलझन को सुलझाते हुए हम आपके लिए जानकारी लेकर आए हैं। बता दें कि भाई-दूज कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस बार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 14 नवंबर से शुरू हो रही है।

 

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कब है भाई-दूज

हिंदू पंचांग के मुताबिक कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 14 नवंबर से शुरू हो रही है। द्वितीया तिथि दोपहर 2 बजकर 37 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन दोपहर तक रहेगी। हिंदू पंचांग या धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक हर त्योहार उदित सूरज के साथ मनाया जाता है, इसलिए भाई-दूज का त्योहार 15 नवंबर को मनाना सही रहेगा। अब बात करते हैं भाई को टीका किस समय करना है, जिससे उसकी आयु में वृद्धि हो सके।


15 नवंबर का भाई दूज का चौघड़िया मुहूर्त

भाई-दूज पर भाई को टीका शुभ मुहूर्त में करना ही सही होगा। आप 15 नवंबर को सुबह 6 बजकर 43 मिनट से लेकर  8 बजकर 4 मिनट तक टीका कर सकती हैं। इसके अलावा दूसरा चौघड़िया मुहूर्त सुबह 8 बजकर 4 मिनट से 9 बजकर 4 मिनट तक रहेगा, जिसे अमृत चौघड़िया मुहूर्त कहते है। ये सभी मुहूर्तों में सबसे शुभ माना जाता है। जबकि तीसरा मुहूर्त 10 बजकर 45 मिनट से 12 बजकर 05 मिनट कर रहेगा। आप किसी भी समय भाई को टीका कर सकती हैं।


क्या है भाई-दूज का महत्व

भाई-दूज भाई की लंबी आयु के लिए मनाया जाता है। कहा जाता है कि कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन ही यमुना ने अपने  भाई यम यानी यमराज का सम्मान कर अपने भाई को टीका लगाया था और भोजन भी करवाया था। इसलिए इस त्योहार को यम द्वितीया भी कहा जाता है। बहन के सम्मान के बदले यमराज ने अपनी बहन को वरदान दिया था कि जो भी बहन आज के दिन अपने भाई को सम्मान के साथ टीका करेगी और अपने भाई को भोजन कराएगी, उसकी कभी अकाल मृत्यु नहीं होगी। इसी समय से ये त्योहार मनाया जा रहा है।

 

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