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Vijaya Ekadashi 2022: आज है शत्रुओं को हराने में सहायक विजया एकादशी, इस व्रत में ये कथा पढ़ने से पूरी होती हैं सभी मनोकामनाएं

Vijaya Ekadashi 2022: इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति को हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है। उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। शत्रुओं पर विजय हासिल होती है और मोक्ष प्राप्त होता है।

नई दिल्ली। हिंदू धर्म के पंचांग के अनुसार आज यानी 27 फरवरी 2022, रविवार को फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इसे ‘विजया एकादशी’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति को हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है। उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। शत्रुओं पर विजय हासिल होती है और मोक्ष प्राप्त होता है। इस साल विजया एकादशी 26 और 27 फरवरी दो दिन की रहेगी है। हिंदू पंचांग के अनुसार एकादशी की तिथि का प्रारंभ शनिवार, 26 फरवरी 2022 को सुबह 10 बजकर 39 मिनट से हो गया है, जो आज यानी 27 फरवरी 2022, रविवार की सुबह 08 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी व्रत पर उसकी कथा का पाठ करने से पूजा का तीन गुना फल मिलता है। आइये जानते हैं क्या है ये कथा…

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विजया एकादशी की व्रत कथा

कहा जाता है कि द्वापर युग में धर्मराज युद्धिष्ठिर के मन में फाल्गुन एकादशी के महत्व के बारे में जानने की जिज्ञासा उठी। उन्होने ये इच्छा भगवान श्री कृष्ण के सामने रखी। इसके बाद श्री कृष्ण ने फाल्गुन एकादशी के महत्व और उसकी कथा के बारे में बताते हुए कहा कि ‘हे कुंते! सबसे पहले नारद मुनि ने ब्रह्मा जी से फाल्गुन कृष्ण एकादशी व्रत की कथा और महत्व के बारे में जाना था, उनके बाद इसके बारे में जानने वाले तुम्हीं हो, ये बात त्रेता युग की है, जब भगवान श्रीराम माता सीता के हरण करने के बाद रावण से युद्ध करने लिये सुग्रीव की सेना को साथ लेकर लंका की ओर प्रस्थान किया तो लंका से पहले विशाल समुद्र ने उनका मार्ग रोक लिया। समुद्र में बहुत ही खतरनाक समुद्री जीव थे जो वानर सेना को हानि पंहुचा सकते थे।

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चूंकि श्री राम मानव रूप में थे इसलिये वह इस गुत्थी को उसी रूप में सुलझाना चाहते थे किसी भी प्रकार की दैवीय शक्ति का प्रयोग नहीं करना चाहते थे। उन्होंने लक्ष्मण से समुद्र पार करने का उपाय पूछा तो उन्होंने कहा कि ‘हे प्रभु! आप सर्वज्ञ हैं वैसे तो मुझे भी स्वयं इसका कोई उपाय नहीं सुझ रहा, फिर भी अगर आप जानना ही चाहते हैं, तो यहां से आधा योजन की दूरी पर वकदालभ्य मुनिवर निवास करते हैं, उनके पास इसका कोई न कोई उपाय हमें जरूर मिल सकता है।’ लक्ष्मण की बात मानकर भगवान श्री राम उनके पास पंहुचे। उन्हें प्रणाम कर अपनी समस्या उनके सामने रखी।

तब मुनि ने उन्हें बताया कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को यदि आप अपनी पूरी सेना समेत उपवास रखें तो आप न केवल समुद्र पार करने में कामयाब होंगे, बल्कि इस उपवास के प्रताप से आप लंका पर भी विजय प्राप्त कर सकेंगे। इसके बात आने वाली एकादशी पर सही मुहूर्त में ‘मुनि वकदालभ्य’ द्वारा बतायी गई विधि के अनुसार भगवान श्री राम सहित पूरी सेना ने एकादशी का व्रत रखा और रामसेतु बनाकर समुद्र को पार कर रावण पर विजय प्राप्त की।