नई दिल्ली। चारो दिशाओं में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने वाले बसंत पंचमी का त्योहार आने वाला है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। श्रद्धालु पीले वस्त्र धारण कर मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करते हैं, जिससे उनपर मां सरस्वती की कृपा होती है। इस साल बसंत पंचमी का त्योहार इस साल शनिवार, 5 फरवरी को पड़ रहा है। आइए आपको बताते हैं, इसका महत्व, पूजन विधि और शुभ मुहूर्त ।
क्या है बसंत पंचमी का महत्व ?
बसंत पंचमी को ‘श्रीपंचमी’ के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने के बाद उनका आशीर्वाद प्राप्त कर शिक्षा प्रारंभ करने या किसी नई कला की शुरूआत करने से सफलता प्राप्त होती है। इस दिन कई लोग गृह प्रवेश भी करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन कामदेव अपनी पत्नी रति के साथ पृथ्वी पर आते हैं। इसलिए पति-पत्नी द्वारा भगवान कामदेव और देवी रति की पूजा करने से उनका वैवाहिक जीवन सुखपूर्वक बीतता है।
क्यों करते हैं मां सरस्वती की पूजा?
हिंदू धर्म में मान्यता है कि विद्या की देवी मां शारदे शुक्ल पक्ष की पंचमी को ही ब्रह्माजी के मुख से प्रकट हुई थीं। यही वजह है कि इस दिन मां सरस्वती की बड़े धूम-धाम से पूजा-अर्चना की जाती है। कहा जाता है इस दिन पूरे विधि विधान से पूजा करने से मां सरस्वती प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
पूजा-विधि
बसंत पंचमी के दिन पीले, बसंती या सफेद वस्त्रो को धारण करें। इसके बाद पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा की शुरुआत करें। मां सरस्वती को पीले वस्त्र के आसन पर स्थापित करें और रोली, केसर, हल्दी, चावल, पीले फूल, पीली मिठाई, मिश्री, दही, हलवा आदि का चढ़ावा चढ़ाएं। इसके बाद मां शारदे को श्वेत चंदन, पीले और सफेद रंग के फूल दाएं हाथ से अर्पित करें। उनके भोग के लिए केसर मिश्रित खीर सर्वोत्तम है। इसके बाद हल्दी की माला से ‘ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः’ के मंत्र का जाप करें। यदि किसी की कुंडली में शिक्षा के क्षेत्र में बाधा का योग है तो इस दिन की गई विशेष पूजा के द्वारा उसे भी ठीक किया जा सकता है।
शुभ मुहूर्त
बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी, यानी शनिवार 5 फरवरी को सुबह 03 बजकर 47 मिनट से प्रारंभ होकर अगले दिन 6 फरवरी, रविवार को सुबह 03 बजकर 46 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। बसंत पंचमी की पूजा हमेशा सूर्योदय के बाद और पूर्वाह्न से पहले की जाती है।