नई दिल्ली। हिंदू शास्त्रों के अनुसार साल के प्रत्येक महीने में दो बार एकादशी का व्रत रखा जाता है और हर एकादशी को न केवल अलग नाम से जाना जाता है, बल्कि सभी का महत्व भी अलग है। एकादशी के व्रत को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। कहा जाता है, इस व्रत को रखने वालों के जीवन में सुख-समृद्धि आती है। हिंदू धर्म के पंचांग के अनुसार 27 फरवरी 2022, रविवार को फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इसे ‘विजया एकादशी’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की अराधना की जाती है। कहा जाता है, कि इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति को हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है। शत्रुओं पर विजय हासिल होती है और मोक्ष प्राप्त होता है।
विजया एकादशी व्रत की कथा
कहा जाता है कि वनवास के दौरान जब रावण ने माता सीता का हरण कर लिया था, तब भगवान श्रीराम रावण से युद्ध करने के उद्देश्य से सुग्रीव की सेना को साथ लेकर लंका की ओर बढ़े, लेकिन लंका तक पहुंचने के लिए मार्ग में पड़ने वाले विशाल समुद्र को पार करना काफी मुश्किल था। मनुष्य अवतार में होने के कारण श्रीराम अपनी चमत्कारिक शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकते थे। उन्हें इस समस्या का सामना साधारण मनुष्य की भांति करना था।
इसके बाद प्रभु श्रीराम वहां से आधे योजन की दूरी पर निवास करने वाले ‘वकदालभ्य मुनिवर’ के पास पहुंचे और उनसे अपनी समस्या का उपाय पूछा। मुनि ने उन्हें बताया कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को ‘विजया एकादशी’ कहा जाता है। अगर आप और आपकी पूरी सेना इस व्रत को रखती है, तो न केवल समुद्र को पार करने में सफल होंगे, बल्कि लंका पर विजय भी प्राप्त करेंगे। इसके बाद श्रीराम और उनकी सेना ने विजया एकादशी के दिन पूरे विधि- विधान से ये व्रत रखा। सभी ने रामसेतु बनाकर समुद्र को पार किया और रावण को परास्त कर युद्ध में विजय प्राप्त की।