पद्मश्री कंवलसिंह चौहान ने बताया कि भारत में कागज बनाने की 639 कारखाने हैं जोकि फिलहाल सभी बंद पड़ी हैं। बंद होने का केवल एक ही कारण है कि उसमें लगने वाली लागत करीब 80 रुपए होता था, और चायना से वही कागज हमको 60 रुपए किलोग्राम के हिसाब से मिल जाता है।
संवैधानिक ढंग से ट्रैक्टर परेड करने के लिए किसानों को क्यों नहीं ट्वीट किया, अखिर क्यों दिल्ली जलनी शुरु हो गई तो केजरी बाबू खामोश थे? क्या उनको केवल और केवल राजनीति करना ही पसंद है, वो भी ओधी राजनीति, जिसके न हाथ होते हैं और न पैर होते हैं।
किसान (Farmer) एक ही मांग पर अड़े हैं कि तीनों नए कृषि कानून (agricultural law)रद्द होने चाहिए। जबकि सरकार कह रही है कि कानून में जिस चीज से आपको दिक्कत है, उसमें हम संशोधन करने के लिए तैयार हैं। लेकिन तथाकथित किसान एक ही मांग पर अड़े हैं कि कानून रद्द होना चाहिए। समझ में नहीं आता अगर सरकार दिक्कत को दूर करने के लिए तैयार है तो कानून रद्द की मांग पर ये किसान अडिग क्यों हैं?