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RSS: देश सेवा को समर्पित 95 वर्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

RSS: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) बना कर देश के युवा शक्ति एवं समाज का देशिक मूल्य के आधार पर संगठन करना प्रारम्भ कर दिया। इसमें आनंद की बात है की संघ तो चलता ही रहा परंतु डॉ. हेडगेवार (Dr. Keshav Rao Baliram Hedgewar) ने अंग्रेजों के ख़िलाफ़ अपने स्वर को सदैव मुखर रखा।

देश और दुनिया में मानव सेवा को समर्पित,देश और समाज कैसे राष्ट्रीय मूल्य को आत्मसात करते हुए इस पुण्य भारत भूमि को विश्व के पटल पर पुनः विश्वगुरु के स्थान पर विराजित हो इस अभीष्ट को ध्येय लेकर एवं लोगों के जीवन में मंगल ही मंगल ऐसे भारत भाव को दुनिया में प्रचारित प्रसारित करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 1925 में नागपुर में मोहते के बाड़े से प्रारम्भ होती है, ऐसा नहीं की संघ की स्थापना से ही शाखा लगाना प्रारंभ हो गई बल्कि एक बौधिक परिचर्चा से संघ का बीज रोपा गया जो आज वट वृक्ष का रूप ले चुका है, पूरे दुनिया में हिंदुत्व की पताका बड़े स्वाभिमान से लहरने का काम संघ कर रहा है।

Telangana RSS Rally

क्या विजया दशमी के दिन यू ही संघ बन गया था? अथवा ऐसा क्या था? की संघ संस्थापक डॉ केशव राव बलिराम हेडगेवर ने एक संगठन निर्माण की सोच ली क्या ध्येय था? वो तो आजदी की लड़ाई की एक प्रखर आवाज़ थे अपने बाल्यजीवन में जिस बालक केशव ने अंग्रेज़ी रानी के जन्मदिन पर विद्यालय में बंटने वाली मिठाई को लेने से माना कर दिया जबकि बालकपन में मिठाइयों के प्रति कितना प्रेम होता है, वही डॉ मुंजे एवं तमाम आजादी की लड़ाई के प्रखर सिपाहियों के सम्पर्क में रहते हुए कलकता में अपनी मेडिकल की पढ़ाई के समय अनुशीलन समिति के सक्रिय सदस्य रहे 1922 में अंग्रेजों ने जेल में डाल दिया, निकले तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बना कर देश के युवा शक्ति एवं समाज का देशिक मूल्य के आधार पर संगठन करना प्रारम्भ कर दिया। इसमें आनंद की बात है की संघ तो चलता ही रहा परंतु डॉ. हेडगेवार ने अंग्रेजों के ख़िलाफ़ अपने स्वर को सदैव मुखर रखा, 1929 को जब लाहौर में पूर्ण स्वराज की घोषण करते हुए तिरंगा लहराया गया तो संघ की शाखाओं पर भी तिरंगा फहराया गया, वही 1932 में जंगल सत्यग्रह में जेल गये अंग्रेजों ने सदेव संघ कार्य पर निगरानी रखी और तमाम कार्यकर्ताओं को जेल की यातना भी दी गई। लेकिन संघ रुका क्या? तो उत्तर आता है नहीं। डॉ हेडगेवर ने तो एक दिया जलाया था वो कब अनेकानेक दियों की लड़ी बन गई जो आज देश और दुनिया में भारत की पहचान बन गई है समाज में जब भी संकट आया संघ वह खड़ा था ये ही कारण है की संघ की सबसे ज़्यादा स्वीकार्यता समाज में है और संघ के स्वयंसेवक पर उतना ही विश्वास भी।

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भारत चीन लड़ाई का समय हो जब हज़ारों संघ कार्यकर्ता ट्रैफ़िक संभालने का काम करने लगते है, हज़ारों यूनिट अपना ख़ून देने अस्पतालों की लाइन में लग जाते है, वही सैनिकों को भोजन-रसद सामग्री पहुचाने के लिए निकल पड़ते है और कुछ कर्यकर्ता सेना में भी भर्ती हो जाते हैं। वही आपातकाल में संघ के लाखों कार्यकर्ताओं पर यातना क्या देश और समाज नहीं जनता है। संघ में विरोधी मानसिकता के चलते प्रतिबंधों के बावजूद हम जाने संघ क्या करता है- 1948 में छात्रों के बीच काम हो देश भक्ति, भारत के अपने मौलिक चिंतन के आधार पर समाज का संगठन इस ध्येय को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की स्थपाना जो आज दुनिया का सबसे बड़ा छात्र संगठन है, वही मज़दूर में इस भाव को जगाना की सैनिकों से कम आप का भी योगदान इस देश में नहीं है, जहां सैनिक सीमा पर डटा है, वहीं हमारा मज़दूर वर्ग इस देश की उन्नति में अपने श्रम को लगा रहा है, इस हेतु भारतीय मज़दूर संघ का निर्माण होता है जो आज दुनिया का सबसे बड़ा और विश्वसनीय मज़दूर संगठन है। वही हमारे किसान बंधु जो अपनी मेहनत से इस वसुंधरा पर रहने लोगों मनुष्यों, जीवों को पालन करते है उनको भोजन, कपड़ा आदि सब उपलब्ध कराते हैं ऐसे श्रमजीवी कृषक बन्धुओं के सम्मान और उनको उनके उपज का सही मूल्य मिले इस हेतु भारतीय किसान संघ की स्थापना, वही उपभोगताओं के अधिकारों की संरक्षण हेतु अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत और वही दुनिया में वैश्वीकरण के नाम पर छोटे-छोटे देश का शोषण होता देख 1992 में स्वदेशी जागरण मंच की स्थापना, जिसने भारत के मानस में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने का काम किया आप व्यक्ति समान की ख़रीदारी के समय एक बार ज़रूर सोचता है की ये भारत का है अथवा बाहर का ये जागरण पैदा करने का का स्वदेशी जागरण मंच ने किया।

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वहीं बाबा साहब अम्बेडकर के विचारों एवं भारत के भाव को लेकर 70 के दशक में सामाजिक समरसता मंच का निर्माण समाज हिंदुत्व के भारत चिंतन जो सम्यक्, समरस समाज निर्माण ही है इस पर समाज ला खड़ा करने का कार्य आज कई दशकों से संघ कर रहा है। वहीं वर्षों से वनों में रह रहे हमारे वन वनवासी समाज के बंधु अपने जनजातिय संस्कृति के साथ भारत के अन्य समाज से सम्पर्क में रहे वहीं वे भी वो सब कुछ प्राप्त कर सके जो समाज में सभी को मिल रहा है, जनजातियों को बहलाकर भ्रम पैदा कर उनको उनकी संस्कृति से विमुख करने हेतु क्रिसचन मिशनरियों के चल रहे षड्यंत्र को रोकने हेतु वनवासी कल्याण आश्रम संगठन का निर्माण, वहीं हिंदू समाज को उनके मौलिक भाव से जोड़े रखना और हिंदू संस्कृति, अचार के संरक्षण हेतु विश्व हिंदू परिषद की स्थापना।

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समाज में ग़रीब, निर्बल लोगों तक सब सुविधा पहुंचे समाज में अंतिम व्यक्ति तक विकास पहुंचे इस ध्येय को लिए चलनेवाला सेवा भारती संगठन ये सब संघ है। मानव सेवा को समर्पित इस जैसे सैकड़ों संगठनों का निर्माण लेकिन संघ प्रचार से सदेव दूर रहा और आज भी हम कहीं बताने से बचते ही है, लेकिन समाज सब भली प्रकार जान रहा है, इस कोरोना के संकट में संघ के कार्यकर्ता पल-पल समाज के भीतर खड़े रहे ये ही सब तो संघ, समाज में रहते हुए मानव की सेवा करना साथ ही ऐसे समाज का निर्माण भी करना अपने जीवन में ये व्रत ले की समाज में प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में हम प्रकाश लाएंगे, सबके जीवन में मंगल होगा, देश समरस तत्व पर एकात्म हो खड़ा होगा, भारत वो अपना पूर्ण वैभव फिर से प्राप्त करेगा सम्पूर्ण देश भारत माता की जय, हिंदू समाज की जय का उद्घोष करते हुए दुनिया में भारत के भाव का प्रचार प्रसार करेगा इस ध्येय पर काम करते हुए आज संघ 96 वर्ष का हो गया।

डॉ. प्रवेश कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर, तुलनात्मक राजनीति और राजनीतिक सिद्धांत केंद्र, अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन केंद्र, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली