newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

5G Services: स्पेक्ट्रम प्रबंधन की नई नीति, समस्याएं अनेक, चिंताओं का समाधान हो कैसे?

5G Services: NFAP 2018 के तहत 5G सेवाओं के लिए एक निश्चित फ्रीक्वेंसियों (3.3 – 3.6 GHz की रेंज में) के बैंड निर्धारित किए गए हैं। इसी प्रकार, लगभग दो दशकों से भारत के 900 से अधिक लाइसेंस प्राप्त सेटेलाइट चैनल, C-बैंड स्पेक्ट्रम की 3.7 – 4.2 GHz रेंज के भीतर ऑपरेट करते हैं। टेलीकॉम और ब्रॉडकास्टिंग के लिए इन दोनों रेंजों के बीच 100 MHz का एक गार्ड बैंड होता है।

भारत में 5G सेवा रोलआउट / उपलब्ध होने से नेटवर्क परफॉर्मेंस में महत्वपूर्ण सुधार मिलने और भारत में डिजिटल समावेश में सहायता के अलावा, 2035 तक दस खरब डॉलर/ 1 ट्रिलियन $ तक की संचयी आर्थिक असर पड़ने की उम्मीद है। 5G रोलआउट को आसान बनाने के लिए, हाल ही में सरकार ने घोषणा की है कि वह अप्रैल में राष्ट्रीय फ्रीक्वेंसी योजना (NFAP) पर अपडेट जारी करेगी, जो उन स्पेक्ट्रम बैंडों और सेवाओं की रूपरेखा तैयार करेगा, जिनके लिए इसका उपयोग किया जा सकता है। हालांकि, यह टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं और केबल व सेटेलाइट ब्रॉडकास्टर्स के बीच, स्पेक्ट्रम शेयरिंग पर इस समय जारी बहस को और भी बिगाड़ सकता है।

NFAP 2018 के तहत 5G सेवाओं के लिए एक निश्चित फ्रीक्वेंसियों (3.3 – 3.6 GHz की रेंज में) के बैंड निर्धारित किए गए हैं। इसी प्रकार, लगभग दो दशकों से भारत के 900 से अधिक लाइसेंस प्राप्त सेटेलाइट चैनल, C-बैंड स्पेक्ट्रम की 3.7 – 4.2 GHz रेंज के भीतर ऑपरेट करते हैं। टेलीकॉम और ब्रॉडकास्टिंग के लिए इन दोनों रेंजों के बीच 100 MHz का एक गार्ड बैंड होता है। यह सुनिश्चित करता है कि टेलीकॉम सर्विस के लिए उपयोग किया गया प्रसार, केबल और सेटेलाइट ब्रॉडकास्टर्स के उपभोक्ताओं की सेवा की गुणवत्ता को प्रभावित न करे। टेलीकॉम आपरेटर्स 5G सेवा के लिए गार्ड बैंड के पार्टस का आवंटन करने के लिए नया NFAP चाहते हैं, जो मीडिया और ब्रॉडकास्टिंग के लिए सेटेलाइट सेवाओं में गंभीर रूप से बाधा डालेगा।

केबल और सेटेलाइट ब्रॉडकास्टिंग देश के लिए एक महत्त्वपूर्ण सेक्टर है। क्रिएटिव/रचनात्मक उद्योग का टीवी एक महत्वपूर्ण भाग है, नागरिकों को सूचनाओं, शिक्षा और मनोरंजन से सशक्त करने में महत्वपूर्ण है। भारत में, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में करीब 2.07 करोड़/207 मिलियन घरों में टीवी है। C- बैंड सेटेलाइट से करीब 900 पंजीकृत टीवी चैनल देश भर में ट्रांसमिट किए जाते हैं, और ब्रॉडकास्टिंग सेक्टर लगभग 20 लाख/2 मिलियन लोगों को रोजगार देता है। यह देश की अर्थव्यवस्था में इसके महत्व को रेखांकित करता है। कोविड- 19 ने ब्रॉडकास्टिंग सेक्टर पर विपरीत प्रभाव डाला है। महामारी के कारण विज्ञापन से आने वाली आय बहुत कम हो गई है। उपभोक्ताओं की एक बड़ी संख्या कंटेंट देखने के लिए ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की ओर जाने लगी है, जो देश में टीवी के लिए बाजार पर प्रभाव डाल रहा है। ब्रॉडकास्टिंग सेक्टर एक कठिन दौर तथा कई असफलताओं से गुज़र रहा है। ऐसे में, सेक्टर की बढ़त का समर्थन करना जरूरी है, न कि इसकी परेशानी को बढ़ाना।

अपडेटेड एनएफएपी (NFAP) ब्रॉडकास्टिंग सेक्टर के लिए हालातों को और भी बिगाड़ सकता है। चूंकि 5G टेरेस्ट्रियल सिग्नल केबल और सेटेलाइट आपरेटरों द्वारा रिसीव किए जाने वाले सिग्नलों से अधिक शक्तिशाली हैं, सिग्नलों के रिसेप्शन पर असर पड़ सकता है। टेक्नोलॉजी सक्षम फिल्टर 5G सिग्नलों को ब्रॉडकास्ट में बाधा पहुंचाने से रोकने में सक्षम नहीं हैं, और बहुत महंगे भी हैं। बहुत सारे देशों- जैसे यूरोपियन संघ, अमेरिका और सिंगापुर- जिन्होंने 5G सर्विस की वृद्धि को सुगम करने के लिए C- बैंड स्पेक्ट्रम को शामिल किया, उन्होंने अपनी ब्रॉडकास्टिंग सेवाओं की गुणवत्ता में एक गंभीर गिरावट देखी। इससे भी आगे, केवल अमेरिका जैसे देश ही मिलियनों डॉलर के साथ केबल और सेटेलाइट आपरेटरों की क्षतिपूर्ति करके 5G सेवाओं के लिए इस प्रकार के स्पेक्ट्रम का उपयोग कर सके। भारत में इस प्रकार का दृष्टिकोण संभव नहीं है। यह ध्यान देना भी आवश्यक है कि 5G सर्विस ये सेवाएं देने के लिए अन्य स्पेक्ट्रम बैंडों का उपयोग कर सकती है, और टेलीकॉम कंपनियां डीओटी (DoT) को इन्हें 5G स्पेक्ट्रम ऑक्शन में शामिल करने के लिए उकसा रहे हैं। हालांकि टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर C- बैंड को शामिल करने का चुनाव कर सकते हैं, क्योंकि यह उनके लिए अधिक फायदेमंद है। इसी दौरान हालांकि, केबल और सेटेलाइट ऑपरेटर स्पेक्ट्रम की अलग रेंज में ऑपरेट नहीं कर सकते हैं, और इसलिए C- बैंड में किसी घुसपैठ का असर लाखों उपभोक्ताओं की ब्रॉडकास्टिंग सेवा पर जरूर पड़ेगा।

ऊपर उल्लेखित चिंताओं का समाधान एक रास्ते पर चलकर किया जा सकता है, जो नई टेक्नोलॉजी को स्वीकार करने की आवश्यकता को ध्यान में रखने के साथ साथ, मौजूदा खिलाड़ियों के समान हिस्से और अधिकारों को भी कायम रखे। भविष्य में टेक्नोलॉजी में परिवर्तन में निश्चितता को पक्का करने के लिए सरकार को स्पेक्ट्रम प्रबंधन में संरचनात्मक मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि भारत की स्पेक्ट्रम प्रबंधन नीति इसमें शामिल सभी हितधारकों का विकास आसान बनाती है।