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ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और भारतीय सेना का पराक्रम पाकिस्तान से भी ज्यादा कांग्रेस को क्यों चुभ रहा है !

आज अगर कोई व्यक्ति भारतीय सेना के पराक्रम और पाकिस्तान की निर्णायक पराजय पर सवाल उठा रहा है तो या तो वह पाकिस्तानी है या फिर कांग्रेसी

कांग्रेस और विपक्षी दल ऑपरेशन सिंदूर में भारत की निर्णायक जीत को असफल बताकर, बार—बार इस पर सवाल उठाकर सीधे तौर पर भारतीयों के स्वाभिमान पर प्रहार करने का काम कर रहे हैं। वे भारत के सैन्य बलों का मनोबल गिराने का काम कर रहे हैं। राहुल गांधी अपने भाषण में बोल रहे हैं, अमेरिका से फोन आया, ‘नरेंद्र, जी हूजुर, सरेंडर’ यह भाषा देश की सबसे पुरानी पार्टी के युवराज राहुल गांधी की है। वह भारत के अपनी शर्तों पर किए गए संघर्ष विराम को सरेंडर यानी आत्मसमर्पण करना कह रहे हैं।

कांग्रेस वही पार्टी है जिसके पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का कहना था कि हमें सेना की क्या जरूरत है? जो काम सेना करती है, वह तो पुलिस भी कर सकती है। उन्हीं के राजनीतिक नेतृत्व की कायरता के चलते भारत चीन के हाथों परास्त हुआ, बड़ा भूभाग गवां बैठा। आज वही लोग ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल उठा रहे हैं। एक परिवार की राजनीतिक दासता ढोते-ढोते आज कांग्रेस इस हालत में आ गई है कि वह सिर्फ और सिर्फ झूठ पैदा करने का कारखाना बन चुकी है।

ऑपरेशन सिंदूर पर कांग्रेस द्वारा किए जा रहे दुष्प्रचार को कांग्रेस की आदत कहकर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ये बेहद गंभीर विषय है। वर्तमान समय में राजनीति के लिए कांग्रेस द्वारा किए जाने वाला दुष्प्रचार सेना के पराक्रम, राष्ट्र की अखंडता और हर भारतीय के स्वाभिमान पर प्रहार करने जैसा है। यहां बात पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकवादियों के हाथों मारे गए 23 निर्दोष लोगों की है, जिन्हें धर्म पूछकर मारा गया। यहां बात उन विधवा स्त्रियों की है जिनकी मांग का सिंदूर उजाड़ दिया गया। यहां बात उन बच्चों की है जिनसे उनके पिता का साया छीन लिया गया। यहां बात हमारे राजनीतिक नेतृत्व, हमारी सेना की है जिसने इस सिंदूर की खातिर पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया। पाकिस्तान की हालत ऐसी कर दी कि वह रहम की भीख का कटोरा लेकर दुनिया भर में दौड़ने को मजबूर हो गया।

जब बात इतनी सारी हों तो फिर कांग्रेस और उसका साथ दे रहे विपक्षी दलों को जवाब दिया जाना जरूरी है। यहां बात राजनीति की नहीं है, यहां बात स्वाभिमान की है। 26/11 के हमले के बाद जिस पार्टी की सरकार पाकिस्तान की खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि आतंकियों के डोजियर सौंपकर पाकिस्तान से कार्रवाई करने की गुहार लगाई, ऐसी पार्टी ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल उठा रही है!

ऑपरेशन सिंदूर इतिहास में अभूतपूर्व सैन्य पराक्रम के रूप में दर्ज हो चुका है, उस पर कांग्रेस दुष्प्रचार फैला रही है। उसके नेता ऐसे बयान दे रहे हैं जो सीधे तौर पर पाकिस्तानी एजेंडे के लिए मुफीद हैं। पूरे ऑपरेशन सिंदूर के बाद से ही कांग्रेस की रूचि इस बात में नहीं थी कि पाकिस्तान की क्या गत बनी है, उसे कितना नुकसान हुआ। वह शुरू से ही यह सवाल उठा रही है कि हमें इस युद्ध में कितना नुकसान पहुंचा। हमारे कितने विमान गिरे, ऐसा इसलिए ताकि वह इस मुद्दे पर भी राजनीति कर सके। हर तरह से मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान के पास इस बात का कोई सुबूत नहीं है कि उसने किसी भारतीय विमान को गिराया हो। वहीं पाकिस्तान सुबूत के तौर पर वह कांग्रेस और उसके समर्थकों के सोशल मीडिया पर किए गए पोस्ट दुनिया के सामने प्रस्तुत कर रहा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुए सीजफायर का श्रेय लेने की कोशिश की थी, लेकिन भारत के सख्त रूख के बाद उन्होंने कहा था कि दोनों देश के बीच ये सहमति बनी है। ट्रंप 16 दिन में 13 किस्म के बयान दे चुके हैं, उनके बारे में माना जाता है कि वह सुबह कुछ कहते हैं, शाम को कुछ और। अब राहुल ट्रंप का नाम लेकर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं।

कांग्रेस और उसके खेमे के 16 विपक्षी दल ऑपरेशन सिंदूर में हुई कार्रवाई को लेकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे बोल रहे हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच जो सीजफायर हुआ है, वह किन शर्तों पर हुआ है। इस बारे में तर्क दिए जा रहे हैं कि 140 करोड़ भारतीयों के लिए ये जानना जरूरी है। जो भी 140 करोड़ भारतीयों की तरफ से चर्चा करने की बात कर रहे हैं वह यह बताएं कि 140 करोड़ भारतीयों की तरफ से बात करने का अधिकार उन्हें किसने दिया? यदि दिया है तो विपक्ष में क्यूं बैठे हैं? जो पार्टी ऑपरेशन सिंदूर को असफल घोषित करने के लिए पाकिस्तान से भी ज्यादा प्रयास कर रही है उसे देशहित में काम किए जाने की उम्मीद आखिर की भी कैसे जा सकती है।

डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।