नई दिल्ली। देश-दुनिया में क्रिप्टो करेंसी का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। जिसका असर अब भारत में भी दिखने लगा है। बड़ी क्रिप्टोकरेंसी में गिनी जाने वाली बिटकॉइन पर भारतीयों ने सबसे ज्यादा भरोसा जताया है। यही कारण है कि उन्होंने बिटकॉइन पर सबसे ज्यादा दांव भी लगाए हैं। यहां खास बात यह है कि दूसरे देशों के मुकाबले भारत ने काफी तेजी के साथ क्रिप्टोजकरेंसी को अपनाया। इस मामले में भारत ने अमेरिका और चीन जैसे देशों को भी पीछे छोड़ दिया। अमेरिकी रिचर्स फर्म फाइंडर ने इसे लेकर एक सर्वे भी किया था, जिसमें 47 हजार से ज्यादा लोग शामिल थे। इस सर्वे में 30 फीसदी इंडियन यूजर्स ने क्रिप्टोकरेंसी इंवेस्टामेंट को एक्सेजप्टे किया। फाइंडर की मानें तो भारत में बिटकॉइन सबसे ज्यायदा पॉपुलर है।
पहला सवाल जो ज्यादा लोगों के मन रहता है वो है कि आखिर ये बिटकॉइन है क्या
तो आपको बता दें, इसका जवाब सीधा और सरल जवाब ये होगा कि बिटकॉइन एक तरह की डिजिटल करेंसी है जिसे आप छू नहीं सकते लेकिन आप इसे सोने यानी गोल्ड की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। आप इन बिटकॉइन के जरिए ऑनलाइन शॉपिंग या फिर निवेश कर सकते हैं। लोग इन्हें अपनी सहूलियत के हिसाब से एक पर्सनल ई-वॉलेट से दूसरे पर्सनल ई-वॉलेट में ट्रांसफर भी कर सकते हैं।
अब बात करें ये कैसे करता है काम
तो आपको बता दें, क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बिटकॉइन विशेषज्ञ हितेश मालवीय का ये कहना है कि एक तरह के वर्चुअल कॉइन यानी कृत्रिम सिक्के हैं, जो अपनी कीमत बनाने और बढ़ाने के उद्देश्य के साथ डिजाइन किए गए हैं। ऐसे में आपको सुविधा ये मिलती है कि इस तरह पैसों के लेन-देन के लिए आपकों बैंकों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होती है। यानी आप इसे किसी निवेश के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
बहुत से लोगों का ये भी सवाल होता है कि आखिर इन्हें कहां इस्तेमाल किया जा सकता है।
तो आप इन बिटकॉइन को ऑनलाइन शॉपिंग या निवेश के लिए भी प्रयोग कर सकते हैं। वैसे तो Cryptocurrency के कई प्रकार हैं जो कि Peer-to-Peer Electronic System के रूप में काम करती है। Bitcoin (BTC) , Ethereum (ETH), Ripple (XRP), Monero (XMR), Litecoin (LTC) ये कुछ महत्वपूर्ण क्रिप्टोकरेंसी हैं जिनका मार्केट में ज्यादा इस्तेमाल होता है।
अब बात करें इसे किस तरह खरीद सकते हैं क्रिप्टोकरेंसी और कहां कर सकते हैं स्टोर
तो ये दो चीजें निवेशों को थोड़ी मुश्किल लगती है। यह दोनों ही चीजें काफी आसान है। आज क्रिप्टोकरेंसी की पॉपुलैरिटी को देखते हुए सामान्य व्यक्ति भी इसमें निवेश करने के बारे में सोच रहा है। ऐसे में हर किसी के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि आखिर यह तकनीक काम कैसे करती है। क्रिप्टो एक्सचेंज प्लेटफॉर्म पर यदि आप जाएंगे तो वहां बायर्स और सेलर्स ट्रेडिंग करते हैं। कई एक्सचेंज ऐसे होते हैं जो एक साथ कई करेंसीज़ को सपोर्ट करते हैं- जैसे बिटकॉइन, रिपल, एथर, टेदर, कारडानो। हालांकि अब भारत में भी कई एक्सचेंज काम करने लगे हैं। लेकिन एक्सचेंज पर ट्रेडिंग शुरू करने से पहले यह देख लें कि ये एक्सचेंज अच्छी वजहों से चर्चा में है न कि बुरी वजहों से। हमेशा चेक कर लें कि उस एक्सचेंज का ऑफिस भारत में हो और इसकी फाउंडिंग टीम में ऐसा स्टाफ हो, जिसकी हिस्ट्री साफ रही हो। ऐसा इसलिए क्योंकि डिजिटल मार्केट में काफी फ्रॉड भी किया जा रहा है।
अब बात करें कि कैसे करें एक्सचेंज का इस्तेमाल
तो यहां बता दें, कि लगभग सभी बड़े एक्सचेंज एक जैसा ही प्रोसेस फॉलो करते हैं। जिसके मुताबिक आपको एक अकाउंट बनाना होगा, फिर भारत में स्थित एक्सचेंज आपको KYC वेरिफिकेशन करने को बोलेंगे। यह वेरेफिकेशन किसी प्रकार की धोखाधड़ी को रोकने के लिए किया जाता है और आपको इस दौरान अपना आईडी प्रूफ देना होगा। यह पूरा प्रोसेस बहुत ही कम समय में पूरा हो जाता है। जिसके बाद आप ट्रेडिंग शुरू कर सकते हैं। जिसके लिए आप अपना बैंक अकाउंट अपने क्रिप्टो अकाउंट से लिंक कर सकते हैं। साथ ही ट्रांजैक्शन के लिए आप सीधे डेबिट/क्रेडिट कार्ड या नेटबैंकिंग का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। वहीं जब लॉगइन और अकाउंट सेटअप का पूरा प्रोसेस पूरा हो जाएगा, तो आपका एक्सचेंज आपको पहला ऑर्डर प्लेस करने के लिए नोटिफाई भी कर देगा। जिसके बाद ऑर्डर प्लेस करने के लिए आपको किसी क्रिप्टोकरेंसी का सिंबल यानी कि बिटकॉइन के लिए BTC, एथर के लिए ETH और डॉजकॉइन के लिए DOGE, डालना होगा और वो अमाउंट डालना होगा, जितने में आप वो कॉइन खरीदना चाहते हैं।
अब आखिर में आपको बताते हैं कि इसे आप किस तरह स्टोर कर सकते हैं
तो क्रिप्टोकरेंसी खरीदने के बाद अगला स्टेप होता है उसे स्टोर करना। हालांकि आप क्रिप्टो एक्सचेंज पर ही अपने कॉइन्स छोड़ सकते हैं और अगर आप एक्टिव ट्रेडिंग कर रहे हैं, तो इसके लिए यह बेहतर तरीका माना जाता है। अगर आप किसी भी क्रिप्टोकरेंसी की कीमत पर नजर डालें तो देखेंगे कि बिटकॉइन और एथर जैसे कॉइन्स ने लंबे समय में ज्यादा रिटर्न दिया है। बीच-बीच में बाजार में आए उतार-चढ़ाव के बावजूद इन कॉइन्स की लॉन्ग टर्म में वैल्यू में बढ़ोत्तरी ही दर्ज की गई है।