हैदराबाद। कर्वी ग्रुप के चेयरमैन और एमडी कोमांदुर पार्थसारथी और कंपनी के सीईओ जी. हरिकृष्ण को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार कर लिया है। दोनों पर 2000 करोड़ के शेयरों की घपलेबाजी और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। कोर्ट ने दोनों आरोपियों को 4 दिन के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया है। पार्थसारथी पहले हैदराबाद की चंधालगुड़ा जेल में भी रह चुके हैं। हैदराबाद के सेंट्रल क्राइम थाने में दर्ज एफआईआर पर उनके खिलाफ ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है। हैदराबाद पुलिस ने आरोप लगाया था कि कर्वी के निदेशकों ने इंडसइंड बैंक को 137 करोड़ रुपए की चपत लगई। वहीं, साइबराबाद पुलिस ने कंपनी पर आईसीआईसीआई बैंक को 562 करोड़ रुपए का चूना लगाने का केस दर्ज किया था। बताया जाता है कि उपभोक्ताओं के शेयर्स को कंपनी के डीमैट खाते में बिना उनकी मर्जी के जमा किया गया। जांच से पता चला कि कर्वी ने धन को अपनी अन्य कंपनियों कर्वी रियल्टी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में भेजा। इन कंपनियों के निदेशक भी पार्थसारथी हैं।
एचडीएफसी बैंक ने भी एफआईआर की थी। जिसमें आरोप लगाया गया था कि कर्वी स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड KSBL ने गैरकानूनी तौर पर कुछ क्लाइंट्स के शेयर जमा कराकर 329 करोड़ का कर्ज ले लिया। इस पर ईडी ने धनशोधन कानून के तहत मामला दर्ज किया था। ईडी ने इससे पहले कर्वी स्टॉक ब्रोकिंग के छह दफ्तरों पर छापे मारे थे। इसके अलावा एजेंसी ने कर्वी ग्रुप के चेयरमैन पार्थसारथी और उनके दो बेटों रजत और अधिराज के 700 करोड़ के शेयर जब्त कर लिए थे।
प्राथमिक जांच मे पता चला था कि कंपनी ने कुल 3000 करोड़ रुपए का कर्ज लिया। जिसमें से 1096 करोड़ की रकम को कर्वी रियल्टी में साल 2016 से 2019 के बीच ट्रांसफर कर दिया। जांच में फोरेंसिक का इस्तेमाल भी किया गया और पता चला कि आरोपियों ने घपले को छिपाने की साजिश के तहत कई फाइल और ई-मेल को सर्वर से डिलीट भी कर दिया था।