नई दिल्ली। आज दुनिया के आगे कोरोनावायरस रूपी एक महासंकट खड़ा है जिसने व्यापारिक युद्ध, सीमाओं की लड़ाई और प्रॉक्सी वॉर जैसे संकटों को बौना साबित कर दिया है। जो चीन और अमेरिका वैश्विक महाशक्ति बनने के ख्वाब के तले व्यापारिक युद्ध में खिंचे चले जा रहे थे आज उन्हीं को इस महामारी ने हिला कर रख दिया है।
इस बीच भारत सरकार भी इस महामारी के दौरान कुछ अहम आर्थिक और व्यापारिक फैसले ले रही है। कोरोना महामारी संकट के बीच केंद्र सरकार ने अवसरवादी अधिग्रहण पर अंकुश लगाने के लिए मौजूदा FDI केे नियम में बदलाव किया है। इसके तहत जिन देशों की सीमा भारत से लगती है वहां के निवेशक सरकारी अनुमति के बिना यहां निवेश नहीं कर सकते हैं। मतलब चीन, बांग्लादेश और पाकिस्तान के निवेशकों या कंपनियों को भारत में निवेश की अनुमति के लिए सरकार से परमिशन की जरूरत होगी। यह जानकारी DPIIT ने दी है। सरकार के इस फैसले का असर अभी चीन के निवेशकों पर होगा। वर्तमान में केवल बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले FDI के लिए सरकार के परमिशन की जरूरत होती थी।
दरअसल पिछले दिनों चाइनीज सेंट्रल बैंक ने HDFC के करोड़ों शेयर खरीदे थे जिससे उसकी हिस्सेदारी कंपनी में 1 फीसदी को पार कर गई। उस समय ऐसी रिपोर्ट आई थी कि चीन पूरी दुनिया में अपना निवेश तेजी से बढ़ा रहा है। कोरोना के कारण पूरी दुनिया का शेयर मार्केट क्रैश कर गया है और शेयर के भाव में भारी गिरावट आई है। चीन इसे अपने लिए अवसर के रूप में देख रहा है और तेजी से निवेश बढ़ा रहा है।
भारत सरकार के इस फैसले के बाद DPIIT के प्रेस नोट के मुताबिक, अगर किसी देश की सीमा भारतीय सीमा से लगती है तो वहां का कोई एंटिटी चाहे वह कंपनी हो या इंडिविजुअल, केवल सरकारी रास्ते से भारत में निवेश कर सकता है। इसके साथ ही DPIIT के इस प्रेस नोट में यह भी कहा गया है कि बांग्लादेशी और पाकिस्तानी नागरिक और कंपनी केवल सरकारी रास्ते से भारत में निवेश कर सकता है।
इन्हें डिफेंस, स्पेस, एटॉमिक एनर्जी जैसे सेक्टर्स में निवेश की अनुमति नहीं है। गौरतलब है कि भारत सरकार आने वाले दिनों में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कई और बेहद महत्वपूर्ण फैसले ले सकती है। जिससे लॉकडाउन के दौरान जो आर्थिक नुकसान हुआ है उसकी भरपाई हो सके।