नई दिल्ली। कांग्रेस समेत विपक्षी दल जीएसटी को लेकर लगातार मोदी सरकार पर हमलावर रहते हैं। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने तो जीएसटी का नाम गब्बर सिंह टैक्स तक रखा और ये दावा करते हैं कि केंद्र में विपक्ष की सरकार बनने पर जीएसटी की दरों को एक समान कर दिया जाएगा। कांग्रेस समेत विपक्षी दल ये आरोप भी मोदी सरकार पर लगाते हैं कि बेरोजगारी बढ़ रही है और महंगाई बहुत है। ये आरोप भी विपक्षी दल लगातार लगाते हैं कि लोगों की क्रय शक्ति कम हो गई है। इन सभी आरोपों के बीच पहली बार जीएसटी से 2 लाख करोड़ की आय हुई है। यानी लोगों ने अप्रैल में जमकर खरीदारी की है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जीएसटी लागू होने के बाद पहली बार इसका आंकड़ा 2 लाख करोड़ के पार पहुंचा है। इस तरह जीएसटी ने इतिहास रचा है। सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि अप्रैल में जीएसटी के जरिए सरकार को 2.10 लाख करोड़ का राजस्व हासिल हुआ। अप्रैल के जीएसटी ग्रॉस रेवेन्यू में भी सालाना आधार पर 12.4 फीसदी की शानदार बढ़ोतरी हुई। वहीं, रिफंड के बाद नेट राजस्व भी 1.92 लाख करोड़ रुपए रहा। इस तरह ये साल दर साल 17.1 फीसदी की बढ़ोतरी रही है। इससे पहले जीएसटी कई बार ज्यादा राजस्व के आंकड़े दर्ज करा चुका है। जीएसटी में आती लगातार बढ़ोतरी से सरकार के पास कल्याणकारी योजनाओं को चलाने के लिए भी धन आता है।
मोदी सरकार ने जीएसटी को लागू किया था। इससे पहले वैट के साथ ही केंद्र व राज्य सरकारों के अलग-अलग कर लोगों को देने होते थे। इसके अलावा राज्यों में अलग-अलग कर की दरें थीं। वहीं, जीएसटी के तहत पूरे देश में सामान पर एक समान ही दर है। यानी लोगों को कहीं ज्यादा और कहीं कम कीमत पर चीज नहीं मिलती। वहीं, वैट सिर्फ पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस पर ही लागू रह गया है। वैट लगाने से राज्य सरकारों को टैक्स का अतिरिक्त पैसा मिल जाता है।