नई दिल्ली। कहते हैं कि युद्ध होता तो गिने चुने पक्षों के बीच ही है लेकिन इससे होने वाला नुकसान सभी को प्रभावित करता है। रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग से भी पूरी ग्लोबल इकॉनोमी पर संकट के काले बादल मंडराने लगे हैं। कोविड की तीसरी लहर से उबर रही भारत की अर्थव्यवस्था पर भी इसका बुरा असर पड़ सकता है। अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल और नेचुरल गैस की कीमतों के आसमान छूने के साथ ही देश में पेट्रोल-डीज़ल और सीएनजी की कीमतों में भी बढ़ोत्तरी होना तय माना जा रहा है। इस सबके साथ ही एक और चीज़ जिसके दाम यूक्रेन संकट की वजह से देखते ही देखते बढ़ते जा रहे हैं, वो है सोना। जहां गुरूवार को रूस यूक्रेन युद्ध के पहले दिन शुरुआती कारोबार में MCX पर सोने की कीमतें 1400 रूपए बढ़कर 51,750 तक पहुंच गई थीं, तो वहीं आज सोना 2000 रूपए और चढ़कर 53,780 रूपए प्रति दस ग्राम के भाव पर है।
कच्चा तेल 100 डॉलर प्रति बैरल के पार जा पहुंचा है तो इसके साथ ही सोने के दामों में भी आग लग गई है। कई एक्सपर्ट्स ये मान रहे हैं कि रूस यूक्रेन के बीच अगर ये तनाव और एक्सटेंड हुआ तो सोने के दामों में उछाल का सिलसिला जारी रहेगा और ये जल्द ही 60,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के लेवल को भी छू सकता है। लेकिन सवाल यही है कि आखिर रूस-यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष से सोने के दाम का क्या लेना देना है और क्यों सोना महंगा होता जा रहा है?
दरअसल, दुनियाभर में महंगाई पहले से ही बढ़ी हुई है और अब कच्चे तेल के दामों में उछाल के चलते महंगाई के और बढ़ने की संभावना है। जिसके बाद अलग अलग देशों के सेंट्रल बैंक महंगाई पर नकेल कसने के लिए ब्याज दरें बढ़ा सकते हैं। इसी कड़ी में माना जा रहा है कि RBI भी ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला लेगा जो कि शेयर बाजार में गिरावट की वजह बनेगा। शेयर मार्केट के लुढ़कने के बाद इन्वेस्टर्स अपने निवेश को बचाने के लिए सुरक्षित विकल्प यानि सोने में निवेश कर सकते हैं। ऐसे में सोने की मांग तेजी से बढ़ेगी जिसके चलते सोने के दाम में जबरदस्त उछाल देखा जा सकता है।