नई दिल्ली। दिल्ली, पंजाब और छत्तीसगढ़ सरकारों के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया-इकोरैप SBI Ecorap की रिपोर्ट ने खतरे की घंटी बजा दी है। ये राज्य जनता को तमाम मुफ्त की सुविधाएं दे रहे हैं और इससे उनके राजकोष पर बहुत दबाव है। आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया वाली कहावत इनके अलावा और भी तमाम राज्यों पर लागू हो रही है। ऐसे में राज्यों की माली हालत दिन पर दिन खराब होने की ओर है। मुफ्त की सुविधा देने की वजह से तमाम राज्यों का कर्ज भी दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। हालत ये है कि जितना राजस्व आ रहा है, उससे ज्यादा ये राज्य खर्च कर रहे हैं।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार ने 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली और पानी का लाभ दे रखा है। छत्तीसगढ़ ने हाल ही में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने का फैसला किया है। जबकि, पंजाब में सत्ता पर बैठी आम आदमी पार्टी की सरकार ने 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने और 2 किलोवाट तक के घरों के दिसंबर से अब तक के पुराने बिजली के बिल माफ करने का एलान किया है। इससे इन राज्यों की हालत और खराब हो सकती है। ये सभी राज्य पहले से ही राजकोषीय घाटे के दबाव में हैं। यानी इनके कोष में पैसा नहीं के बराबर रहता है और खर्च चलाने के लिए हर साल कर्ज लेने पर ये मजबूर हैं।
एसबीआई-इकोरैप की रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2021-21 में जीएसडीडी के 4 फीसदी से ज्यादा राजकोषीय घाटे वाले राज्यों में सबसे ऊपर बिहार है। उसका राजकोषीय घाटा 11.3 फीसदी है। जबकि, असम का 8.5 फीसदी, राजस्थान का 5.2 फीसदी, केरल और मध्यप्रदेश का 4.2 फीसदी और हिमाचल प्रदेश का 4.1 फीसदी है। रिपोर्ट के मुताबिक तेलंगाना अपने राजस्व का 35 फीसदी हिस्सा मुफ्त की योजनाओं पर खर्च कर रहा है। अन्य कई राज्य 5 से 19 फीसदी तक लोकलुभावन स्कीम पर खर्च करते हैं। सिर्फ टैक्स से होने वाली कमाई को खर्च करने की बात करें, तो ये राज्य इसका 63 फीसदी तक मुफ्त की योजनाओं पर खर्च करते हैं।