EMI On Loan: एक बार फिर बढ़ सकती है आपके कर्ज की ईएमआई, आरबीआई फिर कर सकता है रेपो रेट में 0.25 फीसदी तक की बढ़ोतरी

अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने बीते दिनों ही अपनी ब्याज दरें बढ़ाई हैं। इससे एक बार फिर महंगाई बढ़ने के आसार हैं। इसी महंगाई को काबू में करने के लिए रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ा सकता है। अगर रेपो रेट बढ़ा, तो आपके कर्ज की ईएमआई भी बढ़नी तय है।

Avatar Written by: February 6, 2023 8:28 am
RBI

मुंबई। एक बार आपके कर्ज की ईएमआई फिर बढ़ने की आशंका है। रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक समिति की आज से बैठक है। तीन दिन बाद आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास नई मौद्रिक नीति का एलान करने वाले हैं। माना जा रहा है कि एक बार फिर आरबीआई ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर सकती है। रेपो रेट को 0.25 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है। इसकी वजह अंतरराष्ट्रीय है। अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने बीते दिनों ही अपनी ब्याज दरें बढ़ाई हैं। इससे एक बार फिर महंगाई बढ़ने के आसार हैं। इसी महंगाई को काबू में करने के लिए रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ा सकता है। अगर रेपो रेट बढ़ा, तो आपके कर्ज की ईएमआई भी बढ़नी तय है।

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इससे पहले आरबीआई ने पिछले साल दिसंबर में रेपो रेट को 0.35 प्रतिशत बढ़ाया था। इससे पहले रेपो रेट को लगातार तीन बार 0.50-0.50 फीसदी बढ़ाया गया था। अब तक रेपो रेट में 2.25 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। हर बार रेपो रेट बढ़ने के बाद कर्ज की ईएमआई में बढ़ोतरी हुई थी। महंगाई की दर की बात करें, तो ये जनवरी 2022 से तीन तिमाही तक लगातार 6 फीसदी से ज्यादा रही थी। अक्टूबर से इसमें कुछ नरमी आई थी। केंद्र सरकार ने महंगाई की दर 6 फीसदी (2 फीसदी कम या ज्यादा) के स्तर पर रखने को लक्ष्य बना रखा है। ऐसे में फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी ने रेपो रेट एक बार फिर बढ़ाने की तरफ इशारा कर दिया है।

हालांकि, रेपो रेट बढ़ने से ईएमआई तो बढ़ेगी, लेकिन जमा योजनाओं में फायदा भी मिलेगा। पिछले साल रेपो रेट में लगातार आरबीआई ने बढ़ोतरी की, तो बैंकों में एफडी और अन्य जमा योजनाओं की ब्याज दरें भी बढ़ीं। इस बार रेपो रेट बढ़ने पर जमा योजनाओं की ब्याज दर एक बार फिर बढ़ने की संभावना है। ऐसे में बचत करने वालों को फायदा मिलेगा। बता दें कि रेपो रेट वो दर है, जिस दर पर आरबीआई अन्य बैंकों को कर्ज देता है। रेपो रेट बढ़ने पर बैंकों के पास रकम घट जाती है। इससे ईएमआई और जमा पर ब्याज दरों में इजाफा होता है।