
नई दिल्ली। दुनिया में कोरोनावायरस के बढ़ते कहर के बीच कोरोना वैक्सीन तैयार होने की खबर ने पूरी दुनिया को राहत दी है। अब हर किसी को यही इंतजार है कि ये वैक्सीन कब तक मिलेंगे। क्यूंकि लोगों को पता है कि इस जानलेवा कोरोना वायरस से सिर्फ इसका एंटीडोज ही बचा सकता है।
इतना ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के 3 दमदार टीके तैयार हो चुके हैं और अच्छी बात ये है कि ये तीनों ही ट्रायल के अंतिम चरण में हैं। आज हम आपको बताएंगे कि ये तीनों ट्रायल किन देशों में तैयार हुए और कब तक मिल पाएंगे।
1. सिनोवैक
सबसे पहले हम बात करते है सिनोवैक की क्योंकि चीनी वैज्ञानिक कोरोना वायरस के टीके बनाने की दौड़ में सबसे आगे हैं। जिस देश में सबसे पहले ये महामारी फैली उनके वैज्ञानिकों को इस वायरस के टीके तैयार करने के लिए ज्यादा सैंपल मिले। चीनी दवा कंपनी सिनोवैक बायोटेक ने खाड़ी देशों समेत दुनिया के कई अन्य देशों में अपने वैक्सीन के सफल ट्रायल कर लिए हैं। कुल मिलाकर चीनी कंपनी कोरोना वैक्सीन तैयार करने के बेहद करीब है। कंपनी अपने अंतिम ट्रायल ब्राजील और बांग्लादेश में करना शुरू कर चुकी है।
2. आस्ट्राजेनेका
ये टीका ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी ने तैयार किया है। इस टीके का नाम आस्ट्राजेनेका रखा है। इस टीके का इंसानों पर सफल परीक्षण हो चुका है। तीसरे यानि आखिरी चरण के ट्रायल में इस टीके को ज्यादा समय नहीं लगेगा। ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने इस टीके के अंतिम चरण के ट्रायल दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील में करने का फैसला किया है।
3. युनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न
कोरोना टीका बनाने की इस दौड़ में ऑस्ट्रेलिया स्थित युनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न भी आगे नजर आ रही है। यहां के वैज्ञानिकों ने सौ साल पुरानी टीबी की दवा से कोरोना वायरस का वैक्सीन तैयार कर लिया है। हालांकि ये टीका कोरोना वायरस से सीधे लड़ने में मददगार नहीं है। लेकिन ये टीका शरीर के भीतर कोरोना वायरस के खिलाफ इम्युनिटी को जबरदस्त तरीके से बढ़ाने में सफल हुआ है। इस टीके के भी दो ट्रायल पूरे हो चुके हैं। अंतिम चरण के ट्रायल भी शुरू हो चुके हैं।
सितंबर तक पहुंच सकते हैं ये वैक्सीन आपके पास
अब सवाल ये उठता है कि ये कोरोना वैक्सीन आखिर कब लोगों की पहुंच तक पहुंचेंगे। दूसरे चरण के ट्रायल सफल होने का मतलब है कि टीका पूरी तरह से तैयार है और ये बीमारी को प्रभावी रूप से खत्म कर सकता है। लेकिन कोरोना वायरस एक महामारी है और पूरी दुनिया में हर तबके को संक्रमित कर चुका है। औसतन आखिरी चरण यानि तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल में 1 से 4 साल तक का समय लगता है। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि सभी ट्रायल फास्ट ट्रैक मोड में हैं। इस हिसाब से अगस्त के अंतिम हफ्ते या सितंबर के पहले वीक में टीके आम लोगों को उपलब्ध होने की उम्मीद जताई जा रही है।