newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

स्टडी में किया गया दावा बात करने से भी फैल सकता है कोरोनावायरस!

फिलहाल शोधकर्ताओं को यह नहीं पता कि हर बात, खांसी और छींक में ये बूंदें होती हैं या नहीं, जिनमें वायरस के कण बराबर संख्या में शामिल होते हैं। 

नई दिल्ली। कोरोनावारस के संक्रमण से बचने के लिए काफी एहतियात बताए गए हैं, जैसे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना, मास्क पहनना, भीड़ वाली जगह से बचना, हाथ को बार-बार धोते रहना इत्यादि। लेकिन अब कोरोना को लेकर एक स्टडी में पता चलता है कि कुछ हालातों में बात करने पर भी आप कोविड 19 का शिकार हो सकते हैं।

Coronavirus china

इसमें ध्यान रखने वाली बात ये भी है कि मरीज को भले ही बेहद मामूली लक्षण हों लेकिन उससे बात करने से भी आप कोरोनावायरस का शिकार हो सकते हैं। स्टडी में पता चला है कि खांसने या छींकने के अलावा बात करने से भी हजारों वायरल बूंदे निकल सकती हैं। इसलिए ऐसे किसी भी व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें।

द प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित एक शोध की मदद से हम यह जान सकते हैं कि कम लक्षणों से ग्रस्त मरीज भी ऑफिस, नर्सिंग होम जैसी छोटी जगहों पर दूसरों तक संक्रमण पहुंचा सकता है। इस स्टडी को अभी वास्तविक हालातों में किया जाना होगा। हालांकि डॉक्टर्स को अभी भी यह पता नहीं चल सका है कि किसी को संक्रमित करने के लिए कितने वायरस की जरूरत पड़ती है। लेकिन इससे यह साफ होता है कि मास्क के उपयोग से बीमार होने की संभावनाएं कम हो जाती हैं।

srilanka corona virus

प्रयोगों से पता चला है कि किसी व्यक्ति के खांसने या छींकने से हवा में सलाइवा और म्यूकस मिल जाते हैं। जिससे लाखों इन्फ्लूएंजा और दूसरे वायरस कण बनते हैं। एक खांसी से करीब 3 हजार रेस्पिरेट्री ड्रॉपलेट्स बनती हैं, जबकि छींकने से लगभग 40 हजार। बातचीत के दौरान निकलने  वाली बूंदों का पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने वॉलंटियर्स से बार बार ‘स्टे हेल्दी’ बोलने के लिए कहा। सभी सहयोगियों ने एक कार्डबोर्ड बॉक्स में इन शब्दों को बोला, जिसके बाद वैज्ञानिकों ने ग्रीन लेजर की मदद से बूंदों को ट्रेक किया। लेजर स्कैन से पता चला कि बातचीत के वक्त हर सेकंड में 2600 छोटी बूंदें निकलती हैं।

स्टडीज में पता चला है कि तेज बोलने से बड़े कण बनते हैं और इनकी संख्या भी ज्यादा होती है। हालांकि साइंटिस्ट ने मरीजों के बोलने पर निकलने वाली बूंदों को रिकॉर्ड नहीं किया है। इतना ही नहीं स्टडी के मुताबिक अगर एक बंद माहौल में बात की जाय तो वायरस फैलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। शोधकर्ताओं ने बताया है कि प्रयोग एक नियंत्रित माहौल में रुकी हुई हवा के बीच किया गया था।

wuhan coronavirus

ऐसे में इसके बचाव के लिए सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन का कहना है कि सांसों की बूंदों से बचने के लिए कम से कम 6 फीट की दूरी रखें। हालांकि कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके कण 6 फीट से अधिक दूरी भी तय कर सकते हैं। आसपास के तापमान और बोलने की ताकत पर निर्भर करता है।

फिलहाल शोधकर्ताओं को यह नहीं पता कि हर बात, खांसी और छींक में ये बूंदें होती हैं या नहीं, जिनमें वायरस के कण बराबर संख्या में शामिल होते हैं।