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कोरोनावायरस पर एक और दावा, हेपेटाइटिस-C की दवा खाने वाले मरीजों पर नहीं हो रहा इसके संक्रमण का असर!

कोविड़ मरीजों के इलाज के लिए रोहतक पीजीआई में काला पीलिया की दवाई का ट्रॉयल करने की मंजूरी मिल गई है और इसके लिए 86 लाख रुपए की राशि भी मंजूर कर दी गई है।

नई दिल्ली। कोरोना की दवा का इंतजार पूरी दुनिया कर रही है। इसको लेकर खोज भी जारी है, ऐसे में भारत में हेपेटाइटिस-सी की दवा को लेकर पता चला है कि इसे खाने वाले मरीजों में कोरोना का असर नहीं दिखाई दे रहा है। कई देशों में इस दवा का ट्रायल चल रहा है और भारत में भी इस पर रिसर्च किया जा रहा है।

up corona test kit

रोहतक पीजीआई में अभी तक 2000 ऐसे मरीज चिन्हित किए गए हैं, जोकि हेपेटाइटिस-सी यानि काला पीलिया की दवा ले रहे हैं। इनमें से किसी पर भी कोरोना का असर नजर नहीं आया है। रोहतक पीजीआई में हेपेटाइटिस-सी का स्टेट नोडल ट्रीटमेंट सेंटर है। इस सेंटर के इंचार्ज डॉ प्रवीण मल्होत्रा ने बताया कि ब्रिटेन, ब्राजील, ईरान और सऊदी अरब आदि देशों में हेपेटाइटिस-सी के प्रभावी होने के प्रमाण मिले हैं। इसकी दवा खाने वाले मरीजों पर कोरोना का असर दिखाई नहीं पड़ रहा।

hepatitis c

पिछले 4 महीने के दौरान हरियाणा में तकरीबन 5000 हेपेटाइटिस-सी के मरीज दवा ले रहे हैं. हम इस पर रिसर्च कर रहे हैं और अभी तक 2000 लोगों का डाटा जुटा चुके हैं और खुशी की बात यह है कि इन मरीजों में से किसी में भी कोरोना के लक्षण नहीं मिले हैं। हालांकि यह परोक्ष प्रमाण है, लेकिन उम्मीद है कि शायद हेपेटाइटिस की दवा कोरोना वायरस से लड़ने में सक्षम होगी।

Corona Medicine

बता दें कि कोविड़ मरीजों के इलाज के लिए रोहतक पीजीआई में काला पीलिया की दवाई का ट्रॉयल करने की मंजूरी मिल गई है और इसके लिए 86 लाख रुपए की राशि भी मंजूर कर दी गई है। हैल्थ यूनिवर्सिटी के वीसी डॉ ओपी कालरा ने ये जानकारी दी। दरअसल विश्व के पांच देशों में काला पीलिया की दवाई से कोरोना मरीजों को ठीक करने के लिए ट्रॉयल किया गया था, जिसके नतीजे सकारात्मक रहे हैं। इसके बाद रोहतक पीजीआई की ओर से भी ये ट्रॉयल करने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी से अनुमति मांगी गई थी।