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देश में कोरोना के मामलों में आई बड़ी कमी लेकिन पूरी ढील देने पर विशेषज्ञों ने किया सावधान!

Corona: गौरतलब है कि देश में दूसरी लहर के कहर के बाद अब माना जा रहा है कि तीसरी लहर का आना तय है। इसको लेकर नीति आयोग के सदस्य डॉ वी के पॉल ने भी सतर्क रहने को कहा है।

नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर पर काफी हद तक लगाम लग चुकी है। ऐसे में अब कोरोना की रफ्तार भी काफी कम है। हालांकि देश में कम होते कोरोना के मामलों पर विशेषज्ञों की तरफ से आगाह किया गया है कि अभी के हालात भले ठीक लग रहे हों लेकिन सबकुछ खोल देना खतरे से खाली नहीं होगा। बता दें कि विशेषज्ञों का मानना है कि टीकाकरण और संक्रमित होने के बाद लोगों में बड़ी संख्या में कोरोना वायरस के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास हुआ है। इसके साथ ही अब भी कोरोना वायरस के प्रति सचेत रहना होगा। वहीं अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) नई दिल्ली में कोविड-19 आईसीयू का प्रबंधन देखने वाले डॉ युद्धवीर सिंह ने कहा कि जब संक्रमण के मामले कम हो रहे हैं तब आर्थिक गतिविधियों को बहाल करने के लिए कुछ प्रतिबंधों में ढील देना आवश्यक है। हालांकि सब कुछ ढील दे देना सही नहीं रहेगा। लापरवाही से खतरा बढ़ सकता है।

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उन्होंने कहा, “कोरोना को लेकर किए जा रहे उपायों को अभी जारी रखने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि, कोविड से बचाव के अनुरूप व्यवहार करते समय और प्रतिबंधों को लागू करने के दौरान सुरक्षात्मक रवैया अपनाना जरूरी है।” मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर प्रज्ञा शर्मा का कहना है कि, तीसरी लहर तो आएगी ही, ये तय है लेकिन इसमें कितने लोग संक्रमित होंगे, यह बचाव के तरीकों और उसको पालन करने वालों की संख्या पर ही निर्भर होगा। इसमें टीकाकरण की नीति भी ध्यान रखने योग्य होगी।

Corona VK Paul

गौरतलब है कि देश में दूसरी लहर के कहर के बाद अब माना जा रहा है कि तीसरी लहर का आना तय है। इसको लेकर नीति आयोग के सदस्य डॉ वी के पॉल ने भी सतर्क रहने को कहा है। उन्होंने दिल्ली सरकार को भी आगाह किया है कि कोरोना की तीसरी लहर के लिए अगले तीन महीने महत्वपूर्ण हैं। ऐसे में अगर प्रतिबंधों में अधिक ढील दी गई और सावधानी नहीं रखी गई तो कोविड-19 के मामले बढ़ सकते हैं। हालांकि, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के डॉ समीरन पांडा ने नौ जुलाई को हुई बैठक के दौरान दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को बताया था कि तीसरी लहर दूसरी लहर जितनी गंभीर नहीं होगी।