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क्या कोरोना वैक्सीन कोविशिल्ड की वजह से हुआ था वॉलंटियर को साइड इफेक्ट? सीरम इंस्टीट्यूट ने दी ये सफाई

Serum Institute of India: कंपनी ने ट्रायल में शामिल व्यक्ति पर किसी साइड इफेक्ट को लेकर कहा कि, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया(Serum Institute) उक्त व्यक्ति की चिकित्सा स्थिति के प्रति सहानुभूति रखता है, नोटिस में लगाए गए आरोप दुर्भावनापूर्ण और गलत हैं।

नई दिल्ली। देश में कोरोना के मामले लगातार सामने आ रहे हैं, ऐसे में लोगों को अब वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार है। भारत में वैक्सीन के ट्रायल भी शुरू हो चुके हैं। ऐसे में पुणे की टीका बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum institute of India) की वैक्सीन पर कोविशिल्ड (Covishied) के ट्रायल को लेकर एक वॉलंटियर ने सवाल उठा दिया। वॉलंटियर का कहना है कि इस टीके को लेने से उसे साइड इफेक्ट का सामना किया। बता दें कि ट्रायल में शामिल व्यक्ति ने दावा किया था कि इस वैक्सीन के डोज की वजह से उसे साइड इफेक्ट हुआ था। अब इसको लेकर सीरम इंस्टीट्यूट ने साफ किया है कि हमारी वैक्सीन सुरक्षित है, इसकी वजह से ट्रायल में शामिल व्यक्ति को कोई भी साइड इफेक्ट नहीं हुआ था। इसके पहले सीरम ने गलत आरोप लगाने को लेकर वॉलंटियर पर 100 करोड़ रुपये का मानहानि का मुकदमा भी किया है।

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साइड इफेक्ट होने के आरोप पर SII के हेड अदार पूनावाला की कंपनी ने एक बयान जारी कर कहा, ‘चेन्नई के वॉलंटियर के साथ हुई घटना दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन यह वैक्सीन की वजह से नहीं हुई है।’ बता दें कि ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया पार्टनरशिप के तहत ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनिका (Oxford Astrazeneca) वैक्सीन पर काम कर रही है। आखिरी स्टेज पर चल रहे इस वैक्सीन के ट्रायल और इसकी कारगरता को लेकर पूरी दुनिया में चर्चा है। भारत में ये वैक्सीन कोविशिल्ड (Covishied) के नाम से उतारी जाएगी।

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वहीं कंपनी ने ट्रायल में शामिल व्यक्ति पर किसी साइड इफेक्ट को लेकर कहा कि, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया उक्त व्यक्ति की चिकित्सा स्थिति के प्रति सहानुभूति रखता है, नोटिस में लगाए गए आरोप दुर्भावनापूर्ण और गलत हैं। टीके के परीक्षण का उसकी स्थिति के साथ कोई संबंध नहीं है।’ कंपनी ने कहा कि वह व्यक्ति अपने स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के लिए गलत तरीके से टीके को जिम्मेदार बता रहा है।

बता दें कि, चेन्नई में कोविशील्ड वैक्सीन के परीक्षण में भाग लेने वाले एक 40 साल के व्यक्ति ने आरोप लगाया कि गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्या और ज्ञानेंद्री संबंधी समस्या समेत गंभीर दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ा है। सीरम इंस्टीट्यूट तथा अन्य से व्यक्ति ने पांच करोड़ रुपये क्षतिपूर्ति की मांग की है। उसने परीक्षण पर रोक लगाने की भी मांग की है।