नई दिल्ली। देश में कोरोना के खिलाफ चल रही लड़ाई में कई गांव मॉडल बनकर उभरे हैं। ये वे गांव हैं जहां सरकारी दिशा-निर्देशों का पूरी तरह पालन हो रहा है। कहीं गरीबों को मुफ्त में खाना खिलाया जा रहा है तो कहीं घर-घर को सैनिटाइज किया गया है। गांव के प्रधानों ने अपने स्तर से हर परिवार को मॉस्क और सैनिटाइजर उपलब्ध कराया है। रोजी-रोजगार पर असर न पड़े, इसके लिए बहुत सावधानीपूर्वक गांवों की बाजारें भी चल रहीं हैं। पंचायतीराज मंत्रालय ने ऐसे गांवों को मॉडल मानते हुए उनकी पहल को सराहा है।
मिसाल के तौर पर राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले की मक्कासर ग्राम पंचायत को लें। यहां हर दिन साफ-सफाई अभियान चलता है। सड़कों पर सोडियम हाइड्रोक्लोराइड का छिड़काव होता है। यहां गांव के हर-घर मास्क और सैनिटाइजर दिया गया है। खास बात है कि जिनके घर मवेशी हैं तो उन्हें चारा भी दिया जा रहा।
In Rajasthan, to contain the spread of #COVID19 pandemic, regular cleaning operations are being carried out and sodium hypochlorite is being sprayed on the roads in Gram Panchayat Makkasar of Hanumangarh District#IndiaFightsCorona
— PIB India ?? #StayHome #StaySafe (@PIB_India) April 15, 2020
ओडिशा में कटक, भुवनेश्वर और भद्रक जिले के कई गांवों में सराहनीय प्रयास हो रहे हैं। यहां लॉकडाउन के दौरान गरीबों को हर दिन खाना उपलब्ध कराया जा रहा है। भंडारीपोखरी गांव में हर गरीब परिवार को एक हजार रुपये कीमत का राशन उपलब्ध कराया गया। सदर विकास खंड की गांव पंचायतों ने तो साफ-सफाई के लिए अग्निशमन विभाग को भी बुला लिया। भद्रक जिले के कई गांवों में सब्जी किसानों की सहूलियत के लिए स्थानीय बाजारें खुलीं हैं। यहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए ‘ज्यादा आजीविका, कम भीड़’ के फॉर्मूले के साथ दुकानें खुलीं हैं। बिलासपुर जिले के बामता विकास खंड के गांवों के प्रधानों ने स्कूल, आंगनबाड़ी, मंदिर, घर, गलियों में स्वच्छता कार्य कराकर गांव वालों को मास्क और सैनिटाइजर उपलब्ध कराए हैं। यहां के गांवों में प्रवासी मजदूरों को भी राशन दिया जा रहा है।
इसी तरह गोवा के गांववाले भी कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अहम भूमिका निभा रहे हैं। उत्तर गोवा के सोनल गांव के बाहर यहां के लोगों ने एक लकड़ी का दरवाजा लगा रखा है। इस दरवाजे पर 24 घंटे युवा पहरा देते हैं। किसी को बाहर निकलना न पड़े इसके लिए सभी जरूरी सामान गांव के अंदर ही उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
कर्नाटक में एक जिला है उत्तर कन्नड़। यहां भटकल समुद्र तट पर मछुआरों और पर्यटकों की आम दिनों में भीड़ रहती है। लॉकडाउन लगने के बाद से पंचायत अध्यक्ष ने क्षेत्र की सीमाएं सील कर दीं। पड़ोस की ग्राम पंचायतों को भी इस मुहिम में अपने साथ किया। तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले के वडक्कीपलायम गांव में घर-घर कीटनाशक का छिड़काव हुआ।
बिहार का सिंहवासिनी ग्राम पंचायत भारत-नेपाल सीमा से महज 14 किलोमीटर दूर है। यहां के ग्राम पंचायत ने गांव की सीमा सील करते हुए गांव में घर दीवार पर लेखन के जरिए कोविड 19 से बचने के तौर-तरीकों की जानकारी दी है।