प्रियंका गाँधी वाड्रा वायनाड से लोकसभा चुनाव लड़ने जा रही हैं। वायनाड के साथ राहुल गांधी रायबरेली से भी लोकसभा चुनाव जीते हैं ऐसे में राहुल गांधी को एक सीट खाली करनी थी तो उन्होंने वायनाड सीट छोड़ने का फैसला किया। यहां सवाल उठता है कि प्रियंका गाँधी के लिए केरल की वायनाड सीट को ही क्यों चुना गया? राहुल गांधी रायबरेली सीट भी तो छोड़ सकते थे और प्रियंका यहां से चुनाव लड़ सकती थीं, लेकिन संभवत: कांग्रेस को हिंदू वोटर्स पर भरोसा नहीं है, इसलिए प्रियंका के लिए रायबरेली लोकसभा सीट के बदले वायनाड सीट चुनी गई, क्योंकि वायनाड लोकसभा सीट मुस्लिम बहुल सीट है। जाहिर है कांग्रेस ऐसा रिस्क कतई नहीं लेना चाहती है कि जीती हुई सीट कांग्रेस को गंवानी पड़ जाए। इसलिए प्रियंका वाड्रा को रायबरेली से न लड़वाकर कांग्रेस ने प्रियंका को वायनाड से चुनाव लड़ाने का फैसला किया है।
चुनाव तो चुनाव होता है। चुनाव में हर तरह के समीकरण होते हैं जो दिन और रात बदलते हैं। नरेंद्र मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ले चुके हैं। जाहिर बात है देश में समीकरण भी बदल चुके हैं। रायबरेली सीट यदि राहुल गांधी ने खाली की होती तो यहां पर भाजपा पुरजोर तरीके से उपचुनाव लड़ती और प्रियंका यहां से हार भी सकती थीं। उनके करियर का पहला लोकसभा चुनाव और यदि वह पहले ही चुनाव में हार जातीं तो कांग्रेस की भद पिटनी तय थी। यही डर कांग्रेस को भी था।
प्रियंका गाँधी की जीत शत-प्रतिशत सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस ने वायनाड और रायबरेली सीट में से प्रियंका के लिए वायनाड लोकसभा सीट को चुना, क्योंकि मुस्लिम बहुल सीट होने के चलते यहां से प्रियंका की जीत बहुत आसान मानी जा रही है। दरअसल कांग्रेस को अभी भी हिंदू वोटर्स पर भरोसा नहीं है इसलिए प्रियंका गाँधी के लिए केरल की वायनाड सीट को चुना गया है, केरल में कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों में भी सबसे ज्यादा सीटें जीती हैं। लोकतंत्र में जब चुनाव होता है तो किसी के भी हारने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। इसका उदाहरण हम कांग्रेस की धुर विरोधी पार्टी भाजपा से ले सकते हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों में आजमगढ़ से सपा के टिकट पर अखिलेश यादव के सामने भाजपा के टिकट पर भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता दिनेश लाल निरहुआ मैदान में थे। 2019 में निरहुआ यहां से चुनाव हार गए। इसके बाद अखिलेश यादव ने 2022 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ा और चुनाव जीतने के बाद लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया। तब यहां पर हुए उपचुनाव में निरहुआ ने सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव को हरा दिया और सपा द्वारा जीती गई सीट भाजपा ने जीत ली। ऐसी ही स्थिति रायबरेली में भी कांग्रेस के साथ हो सकती थी, हो सकता है उसे जीती हुई सीट गंवानी पड़ जाती, इसलिए प्रियंका के लिए रायबरेली सीट राहुल ने खाली नहीं की और वायनाड से लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया।
वायनाड सीट की बात करें तो इस सीट पर 45 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं और वहां कांग्रेस का इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग से समझौता है। जाहिर है ऐसे में वहां से प्रियंका गाँधी शत प्रतिशत चुनाव जीत जाएंगी। बहुत सोच समझकर कांग्रेस ने यहां से प्रियंका गाँधी को उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में यह बिल्कुल स्पष्ट है कांग्रेस को हिंदू वोटर्स पर भरोसा नहीं है, इसलिए कांग्रेस ने जानबूझकर प्रियंका गांधी को रायबरेली से चुनाव नहीं लड़ाया, क्योंकि कांग्रेस को डर था कि कहीं वह जीती हुई सीट फिर से न हार जाए।
डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।