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Vivek Agnihotri: सद्गुरु के बाद अब OMG 2 को A सर्टिफिकेट दिए जाने पर गरमाए विवेक अग्निहोत्री, कहा- ‘होना ही नहीं चाहिए सेंसर बोर्ड’

Vivek Agnihotri: डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री ने सेंसरशिप पर भी सवाल उठाए हैं और कहा कि CBFC जैसी कोई चीज़ होनी ही नहीं चाहिए। विवेक ने कहा कि- ‘मैं भले सीबीएफसी का हिस्सा हूं। लेकिन अगर आप मुझसे पूछें तो मैं मानता हूं कि ऐसी कोई संस्था होनी ही नहीं चाहिए।

नई दिल्ली। अक्षय कुमार की मोस्ट अवेटेड फिल्म OMG 2 कल बड़े पर्दे पर दस्तक देगी। इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने 27 कट्स और कुछ छोटे-मोटे बदलाव के बाद A सर्टिफिकेट दिया है। फिल्म को A सर्टिफिकेट मिलने जहां हाल ही में सद्गुरु ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा था कि ये फिल्म समाज के लिए जरूरी है और हर उम्र के लोगों को देखनी चाहिए। अब सद्गुरु के बाद ‘द कश्मीर फाइल्स’ के डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री ने भी फिल्म के A सर्टिफिकेट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि सेंसर बोर्ड होना ही नहीं चाहिए।

बता दें कि विवेक अग्निहोत्री भीं सेंसर बोर्ड के सदस्यों में से एक हैं। हालांकि उन्होंने अभी तक ओएमजी 2 नहीं देखी है लेकिन वो फिल्म को A सर्टिफिकेट दिए जाने से नाखुश हैं। विवेक ने कहा कि वो उस रिवाइजिंग कमिटी का हिस्सा नहीं थे, जिसने OMG 2 में 27 कट्स लगाए और कुछ सीन्स में भी बदलाव करने को कहा। अक्षय कुमार फिल्म में पहले भगवान शिव के किरदार में थे लेकिन सेंसर के हस्तक्षेप के बाद इस किरदार को बदल कर भगवान शिव का दूत कर दिया गया।

‘सब समझ गए कमजोर है CBFC’

‘इंडिया डॉट कॉम’ संग एक इंटरव्यू में विवेक ने कहा कि वो सेंसर की तरफ से फिल्म ओएमजी 2 में लगाए गए कट्स और अभिनेता अक्षय कुमार के रोल में किये गए बदलाव के सख्त खिलाफ हैं। विवेक ने कहा- ‘सेंसर बोर्ड पर कुछ भी करने के लिए दबाव नहीं डाला जाना चाहिए। जो भी हो रहा है वो सामाजिक और धार्मिक दबावों के कारण हो रहा है। हर कोई समझ गया है कि CBFC एक कमजोर संस्था है, आप उस पर दबाव डालेंगे और वो ये बदलाव करेंगे। मुझे समझ नहीं आता कि एक फिल्म को इतने सारे कट्स क्यों मिलने चाहिए? 27 कट्स। आप यह तय करने वाले कौन होते हैं?’

‘नहीं होना चाहिए सेंसर बोर्ड’

इतना ही नहीं डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री ने सेंसरशिप पर भी सवाल उठाए हैं और कहा कि CBFC जैसी कोई चीज़ होनी ही नहीं चाहिए। विवेक ने कहा कि- ‘मैं भले सीबीएफसी का हिस्सा हूं। लेकिन अगर आप मुझसे पूछें तो मैं मानता हूं कि ऐसी कोई संस्था होनी ही नहीं चाहिए। मैं फिल्मों पर किसी भी तरह के बायकॉट और बैन के खिलाफ हूं। मैं फ्री स्पीच में विश्वास करता हूं। बल्कि मैं सच में पूर्ण रूप से स्वतंत्र भाषण में विश्वास करता हूं। इस हद तक कि मुझे लगता है कि हेट स्पीच को भी अनुमति दी जानी चाहिए।’