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Bheed Trailer: भीड़ ट्रेलर में अनुभव सिन्हा का फिर से दिखा प्रोपेगेंडा, भारत की खराब छवि प्रस्तुत करने की कोशिश

Bheed Trailer: अनुभव सिन्हा अभिनयकृत इस फिल्म के टीज़र पर पहले ही बवाल गहरा चुका है। जब तमाम क्रिटिक ने अनुभव सिन्हा की इस फिल्म को प्रोपेगेंडा बताया था। टीज़र रिलीज़ होने के बाद अनुभव सिन्हा को काफी ट्रोल किया गया था और एक बार फिर ट्रेलर में अनुभव सिन्हा ने अपने प्रोपेगेंडा को दिखाने की कोशिश की है। तो चलिए ट्रेलर के बारे में बात कर लेते हैं।

नई दिल्ली। राजकुमार राव अभिनयकृत और डायरेक्टर अनुभव सिन्हा निर्देशित फिल्म भीड़ का ट्रेलर रिलीज़ कर दिया गया है। इस फिल्म में आपको राजकुमार राव के अलावा, भूमि पेडनेकर, आशुतोष राणा, वीरेंद्र सक्सेना, दिआ मिर्ज़ा, कृतिका कामरा और पंकज कपूर जैसे तमाम कलाकार दिखने वाले हैं। इस फिल्म को 24 मार्च 2023 को सिनेमाघर में रिलीज़ किया जाएगा। अनुभव सिन्हा अभिनयकृत इस फिल्म के टीज़र पर पहले ही बवाल गहरा चुका है। जब तमाम क्रिटिक ने अनुभव सिन्हा की इस फिल्म को प्रोपेगेंडा बताया था। टीज़र रिलीज़ होने के बाद अनुभव सिन्हा को काफी ट्रोल किया गया था और एक बार फिर ट्रेलर में अनुभव सिन्हा ने अपने प्रोपेगेंडा को दिखाने की कोशिश की है। तो चलिए ट्रेलर के बारे में बात कर लेते हैं।

अनुभव सिन्हा अपनी फिल्म में त्रासदी को दिखा रहे हैं। वो त्रासदी जो लगभग खत्म हो गई और उस त्रासदी ने तमाम लोगों को दर्द दिया। लेकिन अनुभव सिन्हा उसी त्रासदी के दर्द को बार-बार कुरेदना चाह रहे हैं। हम सभी ने कोरोना महामारी को देखा है कैसे पूरे देश में त्रासदी आई और सभी को संकट से गुजरना पड़ा। ऐसे में जब लोगों को (खासकर मजदूर वर्ग) को बहुत कुछ सहना पड़ा, ऐसे में तमाम वो हाथ भी थे जो उनकी मदद के लिए खड़े रहे।

 

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क्या बताना चाह रहे हैं फिल्म में

लेकिन अनुभव सिन्हा इसे एक ऐसा प्रोपेगेंडा फिल्म बनाना चाह रहे हैं। ट्रेलर से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वो अपनी फिल्म के माध्यम से ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि जब ऐसी महामारी आई तो उन मजदूर वर्ग की किसी ने सहायता नहीं की। सरकार ने और मुख्य रूप से पीएम मोदी ने अचानक से लॉकडाउन का एलान कर दिया। ऐसे में मजदूरों को दिक्कत का सामना करना पड़ा। और मजदूरों के हालत के जायजा लेने के लिए कोई खड़ा नहीं रहा। ये सच है कि उस दौरान बहुत कुछ बहुत से लोगों को झेलना पड़ा। लेकिन उसे एक प्रोपेगेंडा की तरह दिखाना वो उचित नहीं है।

प्रोपगैंडा क्या है ?

अनुभव सिन्हा इसे भारत पाकिस्तान विभाजन से जोड़ रहे हैं। फिल्म में वो बताना चाह रहे हैं कि कोरोना महामारी और भारत पाकिस्तान विभाजन एक ही है। ऐसे में कई क्रिटिक ने इस पर सवाल भी उठाया था और इसे अनुभव सिन्हा का प्रोपेगेंडा बताया था। इसके अलावा अनुभव सिन्हा फिल्म में जातिगत राजनीती को भी दिखाना चाह रहे हैं। जातिगत मसलों के अलावा अनुभव सिन्हा फिल्म में धर्म पर आधारित भेदभाव भी दिखाना चाह रहे हैं। एक बार फिर से ये दिखाने की कोशिश की जा रही है। कि कैसे कोरोना में मुसलमानों के साथ भेदभाव हुआ।

जब मुसलमान मदद के लिए दौड़ा तो उसे कोरोना जिहाद का नाम दिया गया। इन सब बातों से अनुभव सिन्हा भारत को और भारत के लोगों को गलत तरीके से दिखाने का प्रयास कर रहे हैं। वो बताना चाह रहे हैं कि आज भी भारत में गरीबों पर जुल्म ढाया जा रहा है। वो दिखा रहे हैं भारत में आज भी जातिगत भेदभाव है और आज भी मुसलमानों को धर्म के नाम पर अवहेलना सहना पड़ता है। इसके अलावा कोरोना में सरकार और कानून की गैर-जिम्मेदाराना व्यवस्था को भी दिखाने का प्रयास अनुभव सिन्हा अपनी फिल्म के माध्यम से कर रहे हैं। अनुभव सिन्हा ने फिल्म के कलर पैलेट को भी ब्लैक एंड व्हाइट रखा है जो कि दुःख और डर को प्रदर्शित करता है।