नई दिल्ली। कश्मीरी पंडितों के पलायन का दर्द पर्दे पर दिखाने वाली फिल्म The Kashmir Files 11 मार्च को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। इस वक्त देशभर में हर तरफ इसी फिल्म की चर्चा हो रही हैं। ऑडियंस की माउथ पब्लिसिटी के कारण सिनेमाघर फुल हो गए हैं। फिल्म जबरदस्त कलेक्शन कर रही है, पांच दिनों के अंदर फिल्म कमाई के मामले में हाफ सेंचुरी लगाकर 60 करोड़ के आंकड़े तक पहुंच गई है। इस बीच फिल्म को कई बीजेपी शासित राज्यों में टैक्से-फ्री कर दिया गया। इनमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, उत्त.राखंड और गोवा शामिल हैं।
फिल्म को टैक्स -फ्री होने के बाद मन में कई तरह के सवाल उठते हैं, मसलन, फिल्म के टैक्सर-फ्री होने का मतलब क्या होता है? इसके पीछे क्या वजह होती है और दर्शकों को इसका फायदा कैसे मिलता है। तो किसी फिल्म के टैक्स फ्री होने के पीछे के गणित को समझाने वाले इन तमाम सवालों के जवाब हम आपको इस खबर में बताने जा रहे हैं।
दरअसल, 2017 में GST के लागू होने से पहले तक राज्य सरकारें सिनेमाघरों से एंटरटेनमेंट टैक्स वसूलती चली आ रही थीं, लेकिन नया टैक्सा लागू होने के बाद केंद्र सरकार ने तय किया कि देश के हर राज्य में फिल्मों के टिकट पर 28 फीसदी GST लिया जाएगा जिससे होने वाली कमाई का आधा हिस्सां राज्य और आधा हिस्सा केंद्र सरकार को मिलेगा।
इस नियम के लागू होने के बाद फिल्म इंडस्ट्री ने इसमें राहत देने के लिए आवाज उठाई। फिल्म इंडस्ट्री के लोगों का कहना था कि टिकट पर 28 फीसदी टैक्स बहुत ज्यांदा है। लिहाजा, केंद्र सरकार से इसमें राहत देने की गुजारिश की गई। सरकार ने फिल्म इंडस्ट्री को राहत देते हुए इसमें गिरावट की और इस बदलाव को दो स्लैकब्स में बांटा गया।
पहला, अगर किसी थिएटर में टिकट की कीमत 100 रुपये से कम है तो उस पर 12 फीसदी GST लगेगा और दूसरा अगर टिकट की कीमत 100 रुपये से ज्यादा है तो टिकट पर 18 फीसदी जीएसटी लगाया जाएगा।
अब इसे और अच्छे से समझने के लिए एक उदाहरण से समझिए
मान लीजिए कि उत्तर प्रदेश में किसी भी फिल्म के टिकट पर 18 फीसदी जीएसटी वसूला जा रहा है। टैक्स फ्री होने के बाद इस पर 18 की जगह 9 फीसदी ही टैक्स लगेगा क्योंकि राज्य सरकार ने अपने हिस्से के 9 फीसदी को टैक्स के दायरे से मुक्त कर दिया है। इसलिए जो 9 फीसदी टैक्स लग भी रहा है वो केंद्र के हिस्से का है यानि आसान भाषा में समझें तो राज्य के पास केवल अपने हिस्से के 50 फीसदी टैक्स को माफ करने का ही अधिकार होता है।
आमतौर पर देश में उन फिल्मों को टैक्सो-फ्री किया जाता है जो किसी न किसी मायने में आम लोगों पर सकारात्मक असर छोड़ती हैं या फिर उनके लिए उसे देखना जरूरी समझा जाता है। जैसे- प्रेरित करने वाली फिल्में, राष्ट्रीय स्तर पर बनी फिल्में और सांप्रदायिक सौहार्द्र को बढ़ावा देने वाली फिल्में। ऐसा माना जाता है कि ऐसी फिल्मों से समाज पर अच्छा असर पड़ेगा। हालांकि टैक्स में छूट देने का फैसला पूरी तरह राज्य सरकार पर निर्भर होता है। तो उम्मीद करते हैं कि हमारे इस खबर से आपको फिल्मों पर लगने वाले टैक्स का पूरा गणित समझ आ गया होगा।