नई दिल्ली। हिंदी सिमेना में जॉनी वॉकर एक जाना पहचाना और मशहूर नाम था। उन्हें कभी कोई भी नहीं भूल सकता। वो अपनी एक्टिंग से फैंस को हंसाना अच्छे से जानते थे। एक वक्त ऐसा भी था जब उन्होंने एक्टर बनने के लिए नौकरी तक को छोड़ दिया था। जॉनी ने अपनी एक्टिंग से हमेशा फैंस से दिल जीता था। आज ही के दिन साल 2004 में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया था। आज उनकी डेथ एनिवर्सी के मौके पर जानें उनसे जुड़ी कुछ अनसुवी बातें-
ऐसे मिली कंडक्टर की जॉब
जॉनी के जन्म की बात करें तो उनकी जन्म मध्य प्रदेश के मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनका असली नाम बदरूदीन जमालुदीन काजी था। जॉनी बचपन से ही एक्टर बनना चाहते थे, लेकिन उनके पिता ने मुंबई में एक इंस्पेक्टर की मदद से उनको कंडक्टर की नौकरी दिला थी। जब उन्हें ये नौकरी मिली तो वो काफी खुश हुए थे। क्योंकि वो इस बहाने से मुंबई घूमना चाहते थे। कंडेक्ट्री के दौरान ही जॉनी की मुलाकात अभिनेता बलराज साहनी से हुई थी। वो जॉनी के अंदाज से काफी खुश हो गए थे और गुरु दत्त से मिलने को कहा था।
गुरु दत्त ने बदली थी किस्मत
जॉनी की किस्मत गुरु दत्त की वजह से ही बदली थी। कहा जाता है कि गुरुदत्त ने जॉनी की प्रतिभा से खुश होकर अपनी फिल्म ‘बाजी’ में काम करने का अवसर दिया। बस इसी फिल्म के बाद वह गुरु दत्त के पंसदीदा कलाकार बन गए थे। ये फिल्म हिट भी हुई थी। इसकी सफलता के बाद उन्होंने गुरु दत्त की लगभग हर एक फिल्म में काम किया। उन्होंने गुरु के साथ ‘आर-पार’, ‘मिस्टर एंड मिसेज 55’, ‘प्यासा’, ‘चौदहवीं का चांद’, ‘कागज के फूल’ जैसी सुपर हिट फिल्में में काम किया था।
बदरूदीन जमालुदीन से हुए जॉनी वॉकर
बदरूदीन जमालुदीन को एक दिन उनके दोस्त ने मस्ताना नाम रखने की सलाह दी थी, लेकिन उन्होंने ये नहीं माना । उन्होंने उस जमाने की मशहूर शराब ‘जॉनी वॉकर’ के नाम पर अपना नाम जॉनी वॉकर रख लिया। गुरु दत्त ने जॉनी के काम से खुश होकर कार तक गिफ्ट की थी।
लगभग 300 फिल्मों में काम किया
जॉनी ने 70 के दशक मे फिल्मों में काम करना काफी कम कर दिया था क्योंकि उनका मानना था कि फिल्मों में कॉमेडी का स्तर काफी गिर गया है। इसके बाद उन्होंने 1986 में अपने बेटे को फिल्मों में लॉन्च करने के लिए फिल्म ‘पहुंचे हुए लोग’ बनाई जो फ्लॉप साबित हुई थी। उन्होंने अपने फिल्मी करियर में लगभग 300 फिल्मों में काम किया था।