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Vivek Agnihotri: फिल्म में मुसलमान शब्द तक नहीं हुआ इस्तेमाल, ‘द कश्मीर फाइल्स’ के इस्लामोफोबिक होने के आरोप पर विवेक का मुंहतोड़ जवाब

Vivek Agnihotri: फिल्म के इस्लामोफोबिक के आरोप पर जवाब देते हुए विवेक ने एक पीसी में कहा कि जब से फिल्म रिलीज हुई है तब से  मीडिया ने उसे इस्लामोफोबिया से जुड़ा है। फिल्म में कहीं भी मुसलमानों के लिए बुरा नहीं कहा गया है और न ही उनके प्रति किसी हिंसा को दिखाया गया है।

नई दिल्ली। फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री की फिल्म द कश्मीर फाइल्स ने बॉक्स ऑफिस के सारे रिकॉर्ड तोड़ नया आयाम हासिल किया है। फिल्म महज एक फिल्म बनकर नहीं रही…बल्कि एक आंदोलन बन गई। कुछ राज्यों में फिल्म को टैक्स फ्री तक कर दिया गया। पीएम मोदी से लेकर अमित शाह तक ने फिल्म की जमकर तारीफ की। हालांकि फिल्म पर लगातार इस्लामोफोबिक होने का आरोप लगा। अब पहली बार विवेक अग्निहोत्री ने फिल्म के इस्लामोफोबिक होने पर चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने कहा कि फिल्म के पहले सीन की शुरुआत ही मुस्लिम और हिंदू के एक पॉजिटिव सीन से हुई है।

फिल्म में नहीं है मुसलमान शब्द- विवेक

फिल्म के इस्लामोफोबिक के आरोप पर जवाब देते हुए विवेक ने एक पीसी में कहा कि जब से फिल्म रिलीज हुई है तब से  मीडिया ने उसे इस्लामोफोबिया से जुड़ा है। फिल्म में कहीं भी मुसलमानों के लिए बुरा नहीं कहा गया है और न ही उनके प्रति किसी हिंसा को दिखाया गया है। फिल्म सिर्फ और सिर्फ आतंकवाद को दिखाती है। उन्होंने कहा कि चिंता का विषय आतंकवाद है..फिल्म में मुस्लिम शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है। फिल्म में पाकिस्तान या पाकिस्तानी शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है। फिल्म में सिर्फ और सिर्फ आतंकवाद के बारे में बात की गई है..। हमारी फिल्म टेरर फोबिक थी न कि इस्लामोफोबिक। द कश्मीर फाइल्स को टेरर फोबिक क्यों नहीं कहा गया।

 

जो लोग आतंकवाद के खिलाफ बोलते हैं वो इस्लामोफोबिक हो जाते हैं-विवेक

दरअसल पीसी के दौरान फिल्म निर्माता विवेक से पूछा गया कि  फिजा आदि जैसी फिल्में आतंकवाद पर आधारित थीं, लेकिन उन्हें कभी इस्लामोफोबिक नहीं कहा गया। इस सवाल का जवाब देते हुए विवेक ने कहा कि जो लोग आतंकवाद को गलत बताते हैं वो इस वक्त मानवता के मसीहा बने बैठे हैं लेकिन जो खुलकर आतंकवाद के खिलाफ बोलते हैं…या बात करते हैं…तो आप लोग उन्हें इस्लामोफोबिक बता देते हैं। विवेक ने कहा कि फिल्म के पहले ही सीन में एक हिंदू लड़के शिव को कुछ लोग पीटते हैं तो अब्दुल उसकी जान बचाता है और उसके बाद पुष्कर नाथ ने अब्दुल की जान बचाई। फिल्म में कहीं भी मुस्लिम शब्द का इस्तेमाल नहीं हुआ है। इस फिल्म का एक जरूरी प्रोड्यूसर तक मुसलमान है।