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टीकरी बार्डर पर हो रहे किसान आंदोलन से 9 माह में हुआ 20 हजार करोड़ का नुकसान, SC जाने की तैयारी में उद्यमी

Tikari Border: बहादुरगढ़ के उद्यमियों का कहना है कि एक तो कोरोना की वजह से मार्च 2020 में लॉकडाउन लगने से कामकाज ठप पड़ गया। हालांकि जब पाबंदियां हटीं तो आंदोलन चालू हो गया।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन से आम आदमी और व्यापारी परेशान हो चुके हैं। ऐसे में दिल्ली की टीकरी बार्डर पर चल रहे आंदोलन से बंद पड़े रास्तों के चलते पिछले 9 महीनों में बहादुरगढ़ के उद्यमी अबतक 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान उठा चुके हैं। इससे परेशान होकर अब बहादुरगढ़ के उद्यमी सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है। हालांकि इससे पहले उन्होंने इस बारे में आंदोलन कर रहे किसानों से भी बात की थी लेकिन उन्होंने रास्ता बंद होने को लेकर कहा कि यह दिल्ली पुलिस की तरफ से किया गया है। ऐसे में उन्होंने अपनी तरफ से पल्ला झाड़ लिया। अब उद्यमी आर-पार की लड़ाई के मूड में आ चुके हैं और सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। इससे पहले उद्यमी केंद्र व राज्य सरकार दोनों से गुहार लगा चुके हैं लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला, जिसके बाद अब वो सर्वोच्च अदालत का सहारा लेंगे।

Tikari Border

बता दें कि इस आंदोलन के चलते बहादुरगढ़ उद्यमियों के संगठन चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में इनकी तरफ से केंद्र और राज्य सरकार से टीकरी बार्डर पर एक तरफ का रास्ता खुलवाने की मांग की गई थी लेकिन उससे पहले उद्यमियों ने किसानों से भी रास्ता खोले जाने की अपील की। मगर किसानों ने अपना पल्ला ये कहकर झाड़ लिया कि ये बार्डर उनके द्वारा नहीं बल्कि दिल्ली पुलिस की ओर से बंद किया गया है।

Tikari Border Farmer

ऐसे में अब हर जगह से निराश होने के बाद उद्यमियों के पास सुप्रीम कोर्ट जाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं सूझ रहा। वो चाहते हैं कि अबतक हुए नुकसान के बाद अब और ज्यादा उन्हें नुकसान ना हो। वहीं बहादुरगढ़ के उद्यमियों का कहना है कि एक तो कोरोना की वजह से मार्च 2020 में लॉकडाउन लगने से कामकाज ठप पड़ गया। हालांकि जब पाबंदियां हटीं तो आंदोलन चालू हो गया। इसके कारण बार्डर बंद होने से माल नहीं आ पा रहा है। इसका असर ऐसा है कि दो हजार से ज्यादा उद्योग तो पूरी तरह ठप हैं। बाकी में उत्पादन में भी कमी आई है। बता दें कि इस तरीके से भारी संख्या में कामगारों का रोजगार छूट चुका है। लोग रोजगार की तलाश में हैं। आंदोलन की वजह से हर महीने दो हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान हो रहा है।