मुंबई। महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग अब लोगों की जान भी लेने लगी है। मराठा आरक्षण की मांग कर रहे 4 और लोगों ने महाराष्ट्र में खुदकुशी कर ली है। खुदकुशी की ये घटनाएं महाराष्ट्र के जालना, बीड, लातूर और परभणी जिलों में हुई हैं। इससे पहले मराठा आरक्षण की मांग को लेकर महाराष्ट्र में 12 लोगों ने खुदकुशी कर ली थी। इस तरह मराठा आरक्षण की मांग पर जान देने वालों की संख्या बढ़कर 16 हो गई है। मराठा समुदाय को आरक्षण देने की मांग शिवबा संगठन के प्रमुख मनोज जरांगे पाटिल ने उठाई है। महाराष्ट्र में मराठा समुदाय की आबादी करीब 35 फीसदी है। पहले कांग्रेस सरकार ने मराठा समुदाय को आरक्षण दिया था, लेकिन इसके खिलाफ अर्जी दाखिल होने पर सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को रद्द कर दिया था। साल 2021 में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद से ही मराठा आरक्षण को लेकर आंदोलन चल रहा है।
मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने इस मुद्दे पर एक बार फिर आमरण अनशन करने का एलान किया है। मनोज जरांगे पाटिल ने पहले भी मराठा आरक्षण हासिल करने के लिए भूख हड़ताल की थी, लेकिन सीएम एकनाथ शिंदे के आग्रह पर उन्होंने इस साल 14 सितंबर को भूख हड़ताल खत्म कर दी थी। एकनाथ शिंदे ने कहा था कि मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए उनकी सरकार कोशिश करेगी। इसके बाद मनोज जरांगे ने 24 अक्टूबर तक की समयसीमा सरकार को दी थी कि वो मराठा आरक्षण लागू करे। ऐसा न होने के बाद मनोज जरांगे पाटिल ने 25 अक्टूबर से भूख हड़ताल करने का एलान किया। मनोज जरांगे ने ये भी एलान किया है कि इस बार मराठा आरक्षण न मिलने तक वो भूख हड़ताल खत्म नहीं करेंगे, भले ही उनकी जान क्यों न चली जाए। उन्होंने बीते दिनों ये भी आरोप लगाया था कि सरकार सिर्फ कागज घुमा रही है। जबकि, अगर पीएम नरेंद्र मोदी एक बार महाराष्ट्र सरकार में बैठे लोगों को फोन कर दें, तो मराठा समुदाय को आरक्षण मिल जाएगा।
इस बीच, महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय को आरक्षण देने पर विचार के लिए जो कैबिनेट सब कमेटी बनाई है, उसकी भी आज बैठक है। इस बैठक में अब तक जो काम सब कमेटी ने किया है, उसकी रिपोर्ट पेश की जाएगी। साथ ही कमेटी में शामिल जस्टिस संदीप शिंदे ये बताएंगे कि मराठा समुदाय को आरक्षण देने की राह में कानूनी और संवैधानिक अड़चनें आखिर क्या हैं। मराठा समुदाय का कहना है कि आजादी से पहले जब निजाम का शासन था, तब उनको मराठा-कुनबी जाति के तहत पिछड़ा माना गया था। बाद में उनको कुनबी मानना बंद कर दिया गया। मराठा समुदाय एक बार फिर कुनबी में खुद को शामिल कर आरक्षण देने की मांग कर रहा है।