
भोपाल। मध्यप्रदेश के श्योपुर में सरकार ने 80 में से 56 मदरसों की मान्यता रद्द कर दी है। बताया जा रहा है कि इन मदरसों में नियमों का उल्लंघन हो रहा था। आरोप ये भी है कि हिंदू बच्चों के नाम पर सरकार से कुछ मदरसे अनुदान भी ले रहे थे। मदरसों की मान्यता रद्द होने के बाद अब सियासत भी गरम है। राज्य की बीजेपी सरकार के स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने मीडिया से कहा कि मदरसों को मान्यता और अनुदान दिया गया, लेकिन उनके कामकाज में विसंगतियां पाई गईं। इस वजह से इनकी मान्यता रद्द की गई। जानकारी के मुताबिक इन मदरसों से 125 करोड़ रुपए की रिकवरी होनी है। इससे पहले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पाया था कि मध्य प्रदेश के 1505 मदरसों में 9427 हिंदू बच्चे इस्लाम की पढ़ाई कर रहे हैं।

स्कूल शिक्षा मंत्री का आरोप है कि श्योपुर में मदरसा बोर्ड से मान्यता लिया गया, लेकिन बच्चों को पढ़ाने का काम नहीं कर रहे थे। इसकी जांच के बाद कार्रवाई की गई। उन्होंने कहा कि शिक्षा के अधिकार के तहत हर बच्चे को शिक्षा हासिल करने का हक है। उन्होंने बताया कि मदरसों के कामकाज की पिछले करीब 7-8 महीने से जांच हो रही थी। इसकी रिपोर्ट आने के बाद ही 56 मदरसों की मान्यता रद्द करने का फैसला लिया गया। उन्होंने साफ कहा कि अगर बच्चों को शिक्षा के अधिकार का हनन किसी भी स्कूल में होगा, तो उसे बंद किया जाएगा। उदय प्रताप सिंह ने कहा कि सीएम मोहन यादव का निर्देश है कि जो नियम तोड़ेगा, उस पर कार्रवाई होगी। अब प्रदेश के बाकी मदरसों की भी जांच कराई जाएगी। जानकारी ये भी मिली है कि मोहन यादव सरकार मिशनरी संस्थानों के स्कूलों और अनुदान लेने वाले एनजीओ की भी जांच कराने जा रही है।

वहीं, कांग्रेस इस मामले में अब सामने आकर मदरसों की मान्यता रद्द होने पर आरोप लगा रही है कि जांच कमेटियों को मोहन यादव सरकार ये कहकर भेज रही है कि मदरसा बंद कर दो। कांग्रेस के विधायक आरिफ मसूद ने कहा कि अगर मदरसा नहीं चलने देंगे, तो हम इसके लिए लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने बीजेपी पर नफरत बांटने का आरोप लगाया और कहा कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाया जाएगा। कांग्रेस विधायक ने कहा कि मदरसों को अनुदान नहीं दिया और उसके कारण कमियां मिलीं।