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Hijab: हिजाब पहनकर आई छात्रा तो विरोध में छात्रों ने डाला भगवा, अलीगढ़ ITI में जमकर मचा बवाल

Hijab: हिजाब और भगवा का मुद्दा डिग्री कॉलेज और यूनिवर्सिटी के बाद अब राजकीय आईटीआई तक पहुंच गया है। यहां हिजाब के विरोध में छात्र भगवा गमछा डालकर कैंपस में पहुंचे, जिसके बाद शिक्षकों ने उन्हें रोका। लेकिन छात्रों का कहना था कि छात्राएं हिजाब पहनकर कैंपस में आ रही हैं, इसलिए वह भी भगवा गमछा लेकर आएंगे।

नई दिल्ली। करीब 15 दिनों की सुनवाई के बाद आज कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया है कि हिजाब इस्लाम का जरूरी हिस्सा नहीं है। बता दें कि इस विवाद पर हाईकोर्ट की फुल बेंच ने 15 से ज्यादा दिनों तक सुनवाई किया था, और दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पिछले हफ्ते फैसला सुरक्षित रख लिया था। लेकिन अलीगढ़ में हिजाब और भगवा का मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा है। डिग्री कॉलेज और यूनिवर्सिटी के बाद यह विवाद अब राजकीय आईटीआई तक पहुंच गया। यहां हिजाब के विरोध में छात्र भगवा गमछा डालकर कैंपस में पहुंचे, जिसके बाद शिक्षकों ने उन्हें रोका। लेकिन छात्रों का कहना था कि छात्राएं हिजाब पहनकर कैंपस में आ रही हैं, इसलिए वह भी भगवा गमछा लेकर आएंगे। जिसके बाद इस मुद्दे को लेकर आईटीआई कैंपस में जमकर बवाल हुआ। इसके बाद शिक्षकों ने बीच में आकर छात्रों को शांत कराया और ड्रेस कोड में ही कैंपस में आने के निर्देश दिए। हंगामा काफी देर तक चला,फिर शिक्षकों के प्रयास से मामला शांत हुआ। आइए विस्तार में जानते हैं पूरा मामला क्या था..

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छात्रों का आरोप, छात्राएं पहनकर आती हैं हिजाब

आईटीआई के छात्रों ने आरोप लगाया था कि छात्राएं हर दिन हिजाब पहनकर आती हैं। इसके बाद भी आर्इटीआई प्रशासन उन्हें नहीं रोकता है। लेकिन जब वे भगवा गमछा लेकर आए तो शिक्षकों ने इसे उतारने के लिए कह दिया। छात्रों को यही दोहरी नीति समझ नहीं आई । इसी बात को लेकर कई घंटों तक हंगामा मचता रहा और शिक्षक छात्रों को समझाने की कोशिश करते रहे।

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कैंपस में लगे जय श्रीराम के जयकारे

भगवा और हिजाब को लेकर शुरू हुए विवाद के बाद छात्रों ने कैंपस के अंदर जमकर नारेबाजी की। एक ही नारा एक ही नाम, जय श्रीराम जयश्रीराम के जयकारों से पूरा कैंपस गूंज उठा। जिसके बाद छात्रों और शिक्षकों के बीच जमकर विवाद भी हुआ। छात्रों का कहना था कि अगर लड़कियां हिजाब पहनकर आएंगी तो वह भी गमछा लेकर आएंगे। काफी देर की जद्दोजहद के बाद शिक्षकों ने उन्हें शांत कराया और आश्वासन दिया कि कोई भी धार्मिक वेशभूषा में अलीगढ़ नहीं आएगा।