नई दिल्ली। हरियाणा में विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं का दल बदल कार्यक्रम शुरू हो गया है। आम आदमी पार्टी के नेता लवलीन टुटेजा लवली ने आज अरविंद केजरीवाल का साथ छोड़ते हुए कांग्रेस का हाथ पकड़ लिया है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने खुद लवलीन टुटेजा को कांग्रेस में शामिल कराया। इस दौरान लवलीन ने हुड्डा के पैर छूकर उनका आशीर्वाद भी लिया। बताया जा रहा है कि लवलीन टुटेजा रोहतक से टिकट मांग रहे थे मगर आम आदमी पार्टी ने उनकी जगह बिजेंद्र हुड्डा को उम्मीदवार घोषित किया है। इसी बात से नाराज होकर लवलीन आम आदमी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।
हरियाणा: रोहतक विधानसभा क्षेत्र से कथित तौर पर टिकट नहीं मिलने के बाद आप नेता लवलीन टुटेजा पूर्व हरियाणा सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मौजूदगी में कांग्रेस में शामिल हो गए। pic.twitter.com/jDibo55BIH
— IANS Hindi (@IANSKhabar) September 12, 2024
कांग्रेस में शामिल होने के बाद लवलीन टुटेजा लवली ने कहा कि हरियाणा की जनता का ‘खुशहाल हरियाणा’ का सपना पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पूरा किया था। अब हरियाणा फिर से बदलाव चाह रहा है। विकासशील हरियाणा की कल्पना हर हरियाणवी कर रहा है। लवली ने कहा कि निश्चित तौर पर प्रदेश में इस बार भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार प्रदेश में बनने जा रही है। जो नीतियां, जो सोच और जो मुद्दे हम पिछले काफी वर्षों से उठा रहे थे उन्ही मुद्दों पर कांग्रेस, पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा उन्हीं मुद्दों पर काम कर रहे हैं।
रोहतक: आप नेता लवलीन टुटेजा लवली ने कांग्रेस में शामिल होने के बाद कहा “हरियाणा की जनता का ‘खुशहाल हरियाणा’ का सपना भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पूरा किया था। अब हरियाणा फिर से बदलाव चाह रहा है। विकासशील हरियाणा की कल्पना हर हरियाणवी कर रहा है। निश्चित तौर पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा और… https://t.co/5PnXSonanX pic.twitter.com/Pz5wd0nMRf
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लवली ने कहा कि इस बदलाव की स्थिति में मेरा भी बदलाव बनता है कि विकासशील हरियाणा की दिशा में मैं भी जनता के लिए काम करूं इसीलिए आज भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में मैंने कांग्रेस की सदस्यता ली। पार्टी मुझे जो भी काम सौंपेगी उसको मैं पूरी तन्मयता से पूरा करूंगा। आपको बता दें कि हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन की चर्चा चल रही थी मगर सीटों पर सहमति न बन पाने के कारण अब दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया है।