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Krishi Kanoon: साक्षी महाराज के बाद कृषि कानून पर अब कलराज मिश्र का बड़ा बयान, बोले- अगर…

Krishi Kanoon: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को गुरु पर्व के मौके पर तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया था। पीएम मोदी ने कहा कि हम किसानों को समझा नहीं सके इसलिए इन कानूनों को वापस ले रहे हैं। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि कानून वापस ले रहे हैं लेकिन इतनी पवित्र बात, पूर्ण रूप से शुद्ध, किसानों के हित की बात, हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए।

नई दिल्ली। शुक्रवार को गुरु पर्व के खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया था। इस ऐलान के साथ ही उन सभी दलों को करारा झटका लगा था जो कृषि कानूनों का मुद्दा बनाकर चुनाव में जीत के लिए अपनी जमीन पक्की कर रहे थे। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को राहत देते हुए कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया है लेकिन अब भी इन कानूनों की वापसी को लेकर बातें कहीं जा रही है। भाजपा सांसद साक्षी महाराज के बाद राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्रा ने कृषि कानून को लेकर ऐसी बात कह दी है जिसके बाद किसानों किसानों का आंदोलन खत्म होने में समय लग सकता है। दरअसल, कलराज मिश्रा ने पीएम मोदी के कानून वापस लेने की सराहना करते हुए कहा कि अगर जरूरत पड़ती है तो ये कानून दोबारा बनाए जा सकते हैं।

sakshi mahraj

राज्यपाल कलराज मिश्रा से पहले भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि केंद्र सरकार का फैसला सराहनीय है। हालांकि कृषि कानून किसानों के लिए ही फायदेमंद था लेकिन सरकार ने किसानों को इसे लेकर समझाने की विफल रही। किसान भी इसे लेकर आंदोलित थे और अड़े थे कि कानून को वापस लिया जाए। आखिर में सरकार को ये फैसला लेना पड़ा कि कानून को वापस ही ले लिया जाए। इसके आगे कलराज मिश्रा ने कहा कि बिल बनते हैं, बिगड़ते और फिर वापस आ जाते हैं। मिश्रा के इस बयान के बाद से ही कृषि कानूनों की वापसी को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं।

आपको बता दें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को गुरु पर्व के मौके पर तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया था। पीएम मोदी ने कहा कि हम किसानों को समझा नहीं सके इसलिए इन कानूनों को वापस ले रहे हैं। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि कानून वापस ले रहे हैं लेकिन इतनी पवित्र बात, पूर्ण रूप से शुद्ध, किसानों के हित की बात, हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए।