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Karnataka Reservation: तेलंगाना के बाद कर्नाटक की कांग्रेस सरकार भी आरक्षण का दायरा बढ़ाकर कर सकती है 85 फीसदी, लेकिन इसे लागू करने में है ये पेच

Karnataka Reservation: कर्नाटक में पिछड़ा वर्ग आयोग ने साल 2015 में सर्वे शुरू किया था। जिसके बाद के. जयप्रकाश हेगड़े ने सर्वे को पूरा किया और फिर सिद्धारामैया सरकार को रिपोर्ट सौंपी।सिद्धारामैया सरकार पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट पर 17 अप्रैल को फैसला लेगी। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में ओबीसी का आरक्षण 32 फीसदी से बढ़ाकर 51 फीसदी करने की सिफारिश की है। हालांकि, आरक्षण बढ़ाने में पेच फंस सकता है। इसकी वजह सुप्रीम कोर्ट का फैसला है।

बेंगलुरु। तेलंगाना के बाद अब कर्नाटक की कांग्रेस सरकार आरक्षण का दायरा बढ़ा सकती है। सिद्धारामैया सरकार पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट पर 17 अप्रैल को फैसला लेगी। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में ओबीसी का आरक्षण 32 फीसदी से बढ़ाकर 51 फीसदी करने की सिफारिश की है। ये रिपोर्ट फरवरी 2024 में सिद्धारामैया की कांग्रेस सरकार को सौंपी गई थी। कर्नाटक में आरक्षण की सीमा बढ़ने पर ये 85 फीसदी हो जाएगा। अगर कर्नाटक की सरकार भी आरक्षण का दायरा बढ़ाती है, तो ये सुप्रीम कोर्ट के आदेश के उलट होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कुल आरक्षण की सीमा 50 फीसदी तय कर रखी है। ऐसे में आरक्षण बढ़ाने के फैसले में पेच है।

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कर्नाटक पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य की जनसंख्या में 69.6 फीसदी ओबीसी हैं। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देने की सिफारिश की थी। ताकि ज्यादातर लोगों को सरकारी सुविधाएं और अवसरों का समान वितरण हो सके। आयोग ने सरकारी नौकरी और शिक्षा में क्षैतिज आरक्षण लागू करने की भी सिफारिश की है। आयोग ने रिपोर्ट में कहा था कि कर्नाटक में आधे से कम आबादी को आरक्षण का लाभ मिल रहा है। कर्नाटक में पिछड़ा वर्ग आयोग ने साल 2015 में सर्वे शुरू किया था। जिसके बाद के. जयप्रकाश हेगड़े ने सर्वे को पूरा किया और फिर सिद्धारामैया सरकार को रिपोर्ट सौंपी।

इससे पहले 17 मार्च 2024 को तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी ने ओबीसी के लिए 42 फीसदी आरक्षण का एलान किया था। तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने भी जातिगत सर्वे कराया था। जिसके बाद आरक्षण को बढ़ाने का फैसला किया गया। खास बात ये है कि सबसे पहले जातिगत सर्वे बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने कराया था और इसके आधार पर आरक्षण बढ़ाने का कानून विधानसभा से पास कराया, लेकिन पटना हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी। मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि तेलंगाना और कर्नाटक की सरकार बढ़ा हुआ आरक्षण कैसे लागू करेंगी? अगर बढ़ा हुआ आरक्षण लागू करना है, तो इसके लिए संविधान संशोधन करना होगा। ये सिर्फ केंद्र सरकार ही कर सकती है।