नई दिल्ली। केंद्र सरकार लड़कियों की शादी से जुड़ा एक कानून बनाने जा रही है। इस कानून के बन जाने के बाद लड़कियों को शादी के लिए कम से कम 21 वर्ष का होना अनिवार्य होगा। अब इस कानून को लेकर विरोध होना शुरू हो गया है। सपा, AIMIM जैसी पार्टियों के कई नेता विरोध करते-करते कुतर्क देने से भी नहीं चूक रहे हैं। इस कानून का विरोध करने वालों में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी कूद पड़ा है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने एक प्रेस नोट जारी करते हुए कहा है कि शादी मानव जीवन की एक महत्वपूर्ण जरूरत है। लेकिन शादी किस आयु में इसके लिए किसी नियत आयु को मानक नहीं बनाया जा सकता।
अपने प्रेस नोट में बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने कहा कि इसका सम्बन्ध स्वस्थ्य से भी है और समाज में नैतिक मूल्यों की सुरक्षा और समाज को अनैतिकता से बचाने के लिए भी, इसलिए न केवल इस्लाम में बल्कि अन्य धर्मों में भी शादी के लिए उम्र की कोई सीमा तय नहीं की गयी है बल्कि उस धर्म को मानने वालों के स्वविवेक पर छोड़ा गया है। यदि कोई लड़का या लड़की 21 वर्ष से पूर्व शादी की ज़रुरत महसूस करता है और शादी के बाद के निर्वहन करने में सक्षम है तो उसे रोकना एक व्यस्क व्यक्ति की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप है, समाज में इसके कारण अपराध को बढ़ावा मिल सकता है।
सरकार निकाह़ की आयु तय करने से परहेज़ करे : मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्लाह रह़मानी (महासचिव ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड)@hmksrahmani pic.twitter.com/8dKAiQPn7t
— All India Muslim Personal Law Board (@AIMPLB_Official) December 20, 2021
प्रेस नोट में आगे कहा गया है कि शादी की न्यूनतम आयु तय कर देना और इसके विरुद्ध शादी को कानून के विरुद्ध घोषित कर देना न लड़कियों के हित में और न समाज के लिए लाभदायक है। बल्कि इससे नैतिक मूल्यों को हानि पहुँच सकती है। वैसे भी कम उम्र में शादी का चलन ख़त्म होता जा रहा है लेकिन कुछ परिस्थितियों में लड़की की शादी तय उम्र से पहले ही कर देने में भलाई होती है। इसलिए, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सरकार से मांग करता है कि वह ऐसे हानिकारक कानून बनाने से परहेज करे।
आपको बता दें कि Marriage Reform की दिशा में, एक और बड़ा कदम उठाते हुए, मोदी सरकार ने लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र (#MarriageAge) 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रस्ताव पास कर दिया है। खास बात है ये है कि संसद में पास होने के, बाद ये कानून सभी धर्मों पर लागू होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2020 में लालकिले से संबोधन के दौरान इसका जिक्र किया था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि बेटियों को कुपोषण से बचाने के लिए जरुरी है कि उनकी शादी उचित समय पर हो।