लखनऊ। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मुद्दा आजकल गरमाया हुआ है। मुस्लिम नेता और उनके संगठन यूसीसी का लगातार विरोध कर रहे हैं। सपा के सांसद एसटी हसन और शफीकुर्रहमान बर्क ने तो साफ कह दिया है कि मुस्लिम कतई यूसीसी को नहीं मानेंगे। इन नेताओं ने शरीयत ही मानने की बात कही है। इन सबके बीच यूसीसी का विरोध कर रहे ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) की अहम बैठक आज लखनऊ में होने जा रही है। लखनऊ के नदवातुल उलमा में एआईएमपीएलबी की बैठक होगी। एआईएमपीएलबी की बैठक में यूसीसी पर अगली रणनीति बनाए जाने के आसार हैं।
एआईएमपीएलबी की तरफ से पहले ही यूसीसी की मुखालिफत करने का एलान किया गया है। एआईएमपीएलबी का कहना है कि यूसीसी से मुस्लिमों के पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप होगा। बता दें कि पर्सनल लॉ के तहत मुस्लिमों को 4 शादी करने का हक है। तलाक के लिए कोर्ट भी जाना जरूरी नहीं है। पर्सनल लॉ के तहत गोद लिए बच्चे को पैतृक संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलता। वहीं, परिवार की महिलाओं को भी आधी संपत्ति ही दी जाती है। यूसीसी लागू होने पर शरीयत के इन नियमों में बदलाव होना तय है और एआईएमपीएलबी इसी वजह से विरोध में खड़ी है। मुस्लिम नेता भी एआईएमपीएलबी के साथ हैं।
सूत्रों के मुताबिक उत्तराखंड में सबसे पहले यूसीसी लागू होने जा रहा है। वहां जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता वाली कमेटी ने यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार किया है। उत्तराखंड के ड्राफ्ट के मुताबिक ही केंद्र की मोदी सरकार भी संसद के मॉनसून सत्र में यूसीसी का बिल पेश कर सकती है। यूसीसी लागू करने के लिए संविधान संशोधन करना होगा। इसके लिए संसद के दोनों सदनों में बहुमत होना जरूरी है। लोकसभा में बीजेपी के पास अकेले बहुमत है, लेकिन राज्यसभा में उसे कुछ अन्य दलों का सहयोग लेना होगा। इनमें बीजेडी और वाईएसआरसीपी हैं। वाईएसआरसीपी ने कई बार मोदी सरकार के बिल पास कराए हैं, लेकिन वो भी यूसीसी के खिलाफ है।