नई दिल्ली। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड यानी एआईएमपीएलबी ने यूसीसी यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड के बारे में ताजा बयान जारी किया है। एआईएमपीएलबी ने बयान में कहा है कि सेक्युलर यूनिफॉर्म सिविल कोड को मंजूर नहीं किया जाएगा। पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि मुस्लिम कभी भी शरिया कानून से समझौता नहीं करेगा। एआईएमपीएलबी ने कहा है कि सरकार की तरफ से जान-बूझकर सेक्युलर यूनिफॉर्म सिविल कोड शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है। ताकि शरिया कानून को निशाना बनाया जा सके। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि किसी भी सूरत में शरिया से इतर वो कुछ और मंजूर नहीं करेगा।
BREAKING | ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का बड़ा बयान
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— ABP News (@ABPNews) August 18, 2024
दरअसल, 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने लालकिले से राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा था कि देश ने कम्युनल सिविल कोड देखा है और अब जरूरत सेक्युलर सिविल कोड की है। पीएम मोदी के इस बयान से संकेत मिले थे कि उनकी सरकार संसद में यूसीसी का कानून ला सकती है। बीजेपी ने हमेशा ही अपने चुनावी घोषणापत्र में कहा है कि वो यूसीसी लागू करेगी। बीजेपी का कहना है कि संविधान के नीति निर्देशक तत्व में कहा भी गया है कि देश की सरकार यूसीसी लागू करने की दिशा में कदम उठाएगी। वहीं, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और मुसलमानों के धर्मगुरु और समुदाय के नेता लगातार कहते रहे हैं कि यूसीसी उनको किसी भी सूरत में मंजूर नहीं है। उनका कहना है कि यूसीसी लागू होने से उनके पर्सनल लॉ में दखलंदाजी होगी।
आजादी के पहले से गोवा में यूसीसी लागू है। इस यूसीसी को तत्कालीन पुर्तगाल की सरकार ने गोवा में लागू किया था। वहीं, 2023 में उत्तराखंड की बीजेपी सरकार ने यूसीसी लागू करने का फैसला किया और अपने यहां विधानसभा से यूसीसी पर कानून भी पास कराया। उत्तराखंड में यूसीसी लागू करने का भी मुस्लिम संगठनों और धर्मगुरुओं ने विरोध किया था। उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अपने राज्य में अक्टूबर 2024 से यूसीसी लागू करने का एलान किया है।