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Gyanvapi Masjid Case: ज्ञानवापी मस्जिद के व्यासजी तहखाने में अभी जारी रहेगी पूजा, मुस्लिम पक्ष की आपत्ति पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला किया सुरक्षित

Gyanvapi Masjid Case: मुस्लिम पक्ष की तरफ से मसाजिद कमेटी और यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने ज्ञानवापी मस्जिद स्थित व्यासजी के तहखाने में जारी पूजा पर रोक लगाने की अपील की थी। वाराणसी के जिला जज ने 31 जनवरी को व्यासजी के तहखाने में पूजा की मंजूरी दी थी।

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में व्यासजी के तहखाने में पूजा पर रोक संबंधी मुस्लिम पक्ष की अर्जी पर फैसला सुरक्षित कर लिया है। मुस्लिम पक्ष की तरफ से मसाजिद कमेटी और यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने ज्ञानवापी मस्जिद स्थित व्यासजी के तहखाने में जारी पूजा पर रोक लगाने की अपील की थी। वाराणसी के जिला जज ने 31 जनवरी को व्यासजी के तहखाने में पूजा की मंजूरी दी थी। जिला जज ने इसके लिए वाराणसी के प्रशासन को 7 दिन का वक्त दिया था। वाराणसी के प्रशासन ने 31 जनवरी की रात ही व्यासजी तहखाने में पूजा शुरू करा दी थी। इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने पहले सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। वहां से उनको इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने के लिए कहा गया था। फिलहाल कोर्ट ने यहां पूजा पर रोक नहीं लगाई है।

मुस्लिम पक्ष का कहना है कि व्यासजी के तहखाने में कभी पहले पूजा नहीं हुई। उनका कहना था कि बिना ठीक से मुस्लिम पक्ष की दलील पर विचार किए वाराणसी के जिला जज ने व्यासजी तहखाने में पूजा शुरू करने का आदेश दिया था। मुस्लिम पक्ष ने वाराणसी के जिला प्रशासन पर भी सवाल खड़े किए थे कि उसने तुरत-फुरत आदेश का पालन कराते हुए पूजा शुरू करा दी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पहले मुस्लिम पक्ष की इस बारे में अर्जी को गलत बताया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि 17 जनवरी को जब व्यासजी के तहखाने को जिला जज ने वाराणसी जिला प्रशासन के जिम्मे दे दिया था, तब उसने हाईकोर्ट का रुख क्यों नहीं किया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को अपनी अर्जी में 17 जनवरी के जिला जज के आदेश को चुनौती देने के लिए कहा था।

Varanasi Gyanvapi Case

उधर, हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे व्यासजी के तहखाने में 1993 तक पूजा होती थी। व्यासजी के परिवार ने इस बारे में वाराणसी के जिला जज के यहां तमाम सबूत भी सौंपे थे। तहखाने की चाबी भी व्यासजी के परिवार के ही पास थी। व्यासजी के परिवार का कहना है कि 1993 में जब ज्ञानवापी मस्जिद को तत्कालीन मुलायम सिंह सरकार ने लोहे की बाड़ से सुरक्षित करने का फैसला किया, तो सिर्फ मस्जिद के सामने का रास्ता खुला छोड़ा और इसी वजह से तहखाना जाकर वहां पूजा करना संभव नहीं रह गया। जिला जज के फैसले से पहले एएसआई को अपने सर्वे के दौरान व्यासजी के तहखाने से तमाम मूर्तियां भी मिली थीं। इस पर मुस्लिम पक्ष का कहना था कि पहले मस्जिद के पास कारीगर रहते थे। शायद उन्होंने ही ज्ञानवापी मस्जिद में मूर्तियां फेंकी होंगी। हालांकि, बरामद कई मूर्तियां सैकड़ों साल पुरानी भी हैं।