बेंगलुरु। कर्नाटक में कांग्रेस ने सरकार बनने पर 5 वादे लागू करने का भरोसा लोगों को दिया था। इनमें से एक वादा अन्न भाग्य योजना का भी था। अन्न भाग्य योजना के तहत कर्नाटक में बीपीएल श्रेणी के हर व्यक्ति को हर महीने 10 किलो मुफ्त अनाज दिया जाना है, लेकिन जुलाई में लॉन्च होने से पहले ही कर्नाटक की कांग्रेस सरकार की अन्न भाग्य योजना पर ग्रहण लगता दिख रहा है। इसकी वजह ये है कि उसे केंद्रीय पूल से अनाज नहीं मिलेगा। दरअसल, केंद्र सरकार ने बीते दिनों फैसला किया है कि सिर्फ पूर्वोत्तर और आपदा प्रभावित राज्यों को ही वो एफसीआई के पूल से अनाज देगा। बाकी राज्यों को ये अनाज नहीं मिलेगा। वहीं, एफसीआई चाहे तो अनाज को निजी पार्टियों को बेच सकता है।
केंद्र सरकार के इस फैसले से कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी बीजेपी में सियासी जंग शुरू हो गई है। सीएम सिद्धारामैया ने कहा है कि केंद्र के पास 7 लाख टन चावल है, लेकिन राज्यों को इसकी बिक्री रोकी जा रही है। सिद्धारामैया ने कहा कि अन्न भाग्य योजना के तहत उनकी सरकार ने एफसीआई से 2.28 लाख मीट्रिक टन अनाज की मांग की थी। एफसीआई ने 12 जून को 2.22 लाख मीट्रिक टन अनाज देने की बात भी कही थी, लेकिन एक दिन बाद ही यानी 13 जून को केंद्र सरकार ने राज्यों को एफसीआई के अपने पूल से अनाज देने पर रोक लगा दी। सिद्धारामैया का कहना है कि कर्नाटक में अन्न भाग्य योजना को फेल करने के लिए ये आदेश दिया गया है। उन्होंने कहा कि अन्न भाग्य योजना के लिए अब तेलंगाना और छत्तीसगढ़ राज्यों समेत अन्य एजेंसियों से चावल लेने की कोशिश की जाएगी।
वहीं, कर्नाटक बीजेपी के महासचिव सीटी रवि ने सिद्धारामैया पर पलटवार किया है। सीटी रवि ने कहा कि अगर सिद्धारामैया हर व्यक्ति के लिए 10 किलो चावल की व्यवस्था नहीं कर सकते, तो उनको इसके लिए सभी को चावल के बाजार दर जितना पैसा देना चाहिए। सीटी रवि ने कहा कि नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार तो हर महीने हर व्यक्ति को 5 किलो अनाज दे ही रही है।