नई दिल्ली। विपक्षी दलों की एकता की कोशिश के बीच दिल्ली संबंधी अध्यादेश पर कांग्रेस और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) के बीच तनातनी जारी है। अरविंद केजरीवाल, पंजाब के सीएम भगवंत मान और आप के सांसद संजय सिंह पटना में विपक्षी दलों की बैठक में शामिल हुए थे। वहां केजरीवाल ने अध्यादेश पर संसद में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का साथ मांगा था। कांग्रेस अब तक इस मामले में खुलकर साथ नहीं आई है। हालांकि, शनिवार को सोनिया गांधी के साथ बैठक के बाद कांग्रेस ने ये बयान दिया था कि वो देश के संघीय ढांचे से छेड़छाड़ के खिलाफ है।
कांग्रेस की तरफ से अध्यादेश के मामले में खुलकर साथ न देने पर अरविंद केजरीवाल खफा बताए जा रहे हैं। केजरीवाल ने आज शाम को आप की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी (पीएसी) की बैठक बुलाई है। बेंगलुरु में कल से दो दिन विपक्षी दलों के गठजोड़ की बैठक है। पीएसी में केजरीवाल अपनी टीम के साथ ये तय करेंगे कि उनको बेंगलुरु की बैठक में जाना है या नहीं। कांग्रेस की तरफ से जिस तरह टालमटोल किया जा रहा है, उससे फिलहाल यही लग रहा है कि विपक्षी दलों की बेंगलुरु बैठक में शामिल होने से केजरीवाल इनकार कर सकते हैं।
पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक में केजरीवाल इतने नाराज हो गए थे कि वो बाद में हुई संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल भी नहीं हुए। बैठक में पश्चिम बंगाल की सीएम और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी और एनसीपी के शरद पवार ने खुलेआम केजरीवाल का साथ दिया था। सपा, बीआरएस और डीएमके जैसे दलों ने भी संसद में मोदी सरकार के अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल का साथ देने का एलान किया है। अब देखना ये है कि केजरीवाल को साथ लाने के लिए कांग्रेस की तरफ से संसद में अध्यादेश मामले में आम आदमी पार्टी का साथ देने का एलान होता है या नहीं। क्योंकि इसके बिना संकेत ये जाएगा कि विपक्ष ही इस मामले में एकजुट नहीं है।